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उत्तराखंड चुनाव में किसी पूर्व मुख्यमंत्री को उम्मीदवार नहीं बनाएगी BJP

उत्तराखंड में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्रियों को ही नहीं, बल्कि कांग्रेस से बगावत कर पार्टी में आए आधे विधायकों को भी टिकट नहीं मिलेगा। पार्टी विधानसभा चुनाव में ‘अटल ने बनाया मोदी संवारेंगे’ को प्रमुख चुनावी नारा और पाकिस्तान के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक के साथ-साथ वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) लागू किए जाने को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाएगी। 
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चूंकि राज्य में सैनिकों और पूर्व सैनिकों की भरमार है। इसलिए पार्टी ने सेना से जुड़े दोनों मुद्दों को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने का निर्णय लिया है। इस सबके इतर पार्टी को सूची जारी होने के बाद नाराजगी दूर करने के लिए भी पसीना बहाना होगा।

उत्तराखंड के लिए भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है। इस रणनीति के तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों और सांसद भुवन चंद खंडूरी, रमेश पोखरियाल निशंक और भगत सिंह कोश्यारी को टिकट नहीं मिलेगा। कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का दामन थामने वाले विजय बहुगुणा सहित 8 में से 4 विधायकों को भी टिकट मिलने की संभावना कम है। 

सूची से पहले पैनल से नाराजगी

चूंकि उत्तराखंड का निर्माण वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में और सेना से जुड़े ओआरओपी की घोषणा और पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को मोदी सरकार के कार्यकाल में अंजाम दिया गया है। इसलिए पार्टी ने चुनावी नारे और मुद्दे को पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और वर्तमान पीएम मोदी पर केंद्रित किया है।
सूची से पहले पैनल से नाराजगी
उत्तराखंड में उम्मीदवारों की सूची जारी किए जाने से पहले तैयार किए गए पैनल पर ही कई नेताओं को आपत्ति है। कई नेता कुछ सीटों पर दागियों और बड़े अंतर से चुनाव हारने वालों, कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आए विधायकों के नामों को पैनल में डालने से नाराज हैं। एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक भ्रष्टाचार के आरोप में मंत्री पद से हटाए गए एक नेता का नाम भीमताल सीट के पैनल में है, जबकि 24000 के अंतर से हारने वाली एक नेता को हल्द्वानी सीट के पैनल में शामिल किया गया है। इसी प्रकार पूर्व कांग्रेसी विधायकों के नाम भी उम्मीदवारों के पैनल में हैं।
 

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