उत्तराखंड में क्षेत्र पंचायतों के परिणाम जारी होने के साथ ही यह साफ हो गया कि भाजपा अपने प्रतिस्पर्धी दल कांग्रेस से आगे जरूर रही लेकिन कई जगह उसे झटका भी लगा। कुल 89 पदों में से निर्विरोध चुने गए प्रत्याशियों सहित भाजपा के खाते में 45 ब्लॉक प्रमुख आए। कांग्रेस ने अंतिम समय में 26 विजयी प्रत्याशियों की सूची जारी की। जबकि 18 पदों पर निर्दलियों ने कब्जा किया। ब्लॉक प्रमुखों के 89 पदों में से 27 ब्लॉक प्रमुख पहले ही निर्विरोध निर्वाचित हो गए थे। भाजपा ने कुल मिलाकर 76 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। इनमें से निर्विरोध जीते प्रत्याशियों को मिलाकर भाजपा ने 45 क्षेत्र पंचायतों में प्रमुख के पद पर कब्जा किया। पिथौरागढ़ जिले के आठ विकास खंडों में से भाजपा के खाते में चार सीट आईं। यहां तीन सीट कांग्रेस के खाते में र्गईं। एक सीट निर्दलीय के खाते में गईं।
यहां पूर्व मंत्री प्रकाश पंत के निधन के बाद खाली हुई सीट पर उप चुनाव भी हो रहे हैं और सत्ता पक्ष को यहां कांग्रेस से चुनौती मिली है। भाजपा ने बागेश्वर में क्लीन स्वीप किया और यहां तीनों सीटें उसके खाते में गईं। कांग्रेस के लिए सबसे मुफीद अल्मोड़ा की सीट रही। यहां कांग्रेस ने 10 में से सात सीटों पर कब्जा किया।
भाजपा के खाते में सिर्फ एक ही सीट आई। दोनों ही दलों के बीच पौड़ी में कांटे की टक्कर है। कुल 15 सीटों में से सात भाजपा तो छह सीटें कांग्रेस के खाते में गईं। यहां दो निर्दलीय विजयी रहे।
कांग्रेस ने 30 प्रत्याशियों को समर्थन देने का ऐलान किया था। इनमें से कांग्रेस 26 विजेताओं की सूची ही देर शाम तक जारी हुई। कुल मिलाकर 18 ब्लॉक प्रमुख निर्दलीय हैं और अब दोनों दलों के बीच निर्दलियों को अपने पाले में करने का दबाव रहेगा।
कांग्रेस ने क्षेत्र पंचायतों में बेहतर प्रदर्शन किया है। कांग्रेस ने कई ब्लाकों में बेहतरीन प्रदर्शन किया। यह तब है जबकि भाजपा ने आरक्षण सहित चुनाव की पूरी प्रक्रिया में मनमानी की।
– प्रीतम सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
पार्टी के 70 प्रतिशत प्रत्याशी विजयी रहे हैं। निर्दलीय प्रत्याशियों में से भी अधिकतर भाजपा समर्थित ही हैं। साफ है कि जनता ने कांग्रेस को पूरी तरह से नकार दिया है।
– अजय भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष