उत्तराखंडराज्य

उत्तराखंड में पेरोल पर उठा सवाल, HC ने कहा ‘नियम बनाए सरकार’

पैरोल पर छोड़ने में पक्षपात के आरोप पर हाईकोर्ट ने सजायाफ्ता कैदियों को पैरोल पर छोड़ने के लिए उत्तराखंड सरकार को एक माह के भीतर नियम बनाकर इसे सार्वजनिक करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा कोर्ट ने राज्य के गृह सचिव को याचिकाकर्ता के लंबित प्रार्थना पत्र को दो सप्ताह के भीतर निस्तारित करने को कहा है।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकलपीठ के समक्ष हरिद्वार निवासी सावित्री देवी की याचिका पर सुनवाई हुई। याची का कहना था कि उसके पति हत्या के मामले 2010 से जेल में बंद हैं।
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28 जनवरी को उसकी विकलांग पुत्री का विवाह है और उसके परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है। इस कारण उसने राज्य सरकार को प्रार्थना पत्र देकर अपने पति को पैरोल में छोड़ने की प्रार्थना की थी, लेकिन उसका प्रार्थना पत्र 7 नवंबर 2016 से  शासन में लंबित है।

यूपी में 2007 में पेरोल के लिए बनाए गए थे नियम

याचिका में सावित्री देवी ने कहा कि उसे समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ कि हत्या मामले में बंद एक प्रभावशाली कैदी लक्कड़पाला को दो माह की पैरोल पर छोड़ दिया गया है, जबकि उसका प्रार्थना पत्र लंबित है। याचिकाकर्ता का कहना था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 2007 में अपराधियों को पैरोल पर छोड़ने के नियम बनाए हैं जिससे वहां अपराधियों को  पैरोल पर छोड़ने में पक्षपात नहीं किया जाता है।

याची ने मांग की कि यह नियम उत्तराखंड में भी लागू होने चाहिए ताकि किसी के साथ पक्षपात न हो और सभी को  समान रूप से न्याय मिल सके।

पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने उत्तराखंड सरकार को कैदियों को पेरोल पर छोड़ने के लिए नियम बनाने के निर्देश देते हुए उन्हें सार्वजनिक करने को कहा है। कोर्ट ने राज्य के गृह सचिव को याचिकाकर्ता के लंबित प्रार्थना पत्र को दो सप्ताह के भीतर निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं।

विधायक भाटी का कातिल भी था पैरोल पर

हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा खानपुर तुगलपुर निवासी लक्कड़ पाला उर्फ पाल सिंह उर्फ हरपाल भी पैरोल पर जेल से बाहर था। 11 जनवरी को पैरोल निरस्त होने पर उसे हिरासत में लेकर, रातोंरात हरिद्वार जेल में शिफ्ट कर दिया गया।

इस मामले में खानपुर के पूर्व विधायक प्रणव चैंपियन और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने खुल कर विरोध किया था। 
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले लक्कड़पाला की पैरोल मंजूर होने के बाद सियासी हलचल तेज हो गई थी। भाजपा के नेताओं की ओर से लगातार इस पर सवाल उठाए जा रहे थे, इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने इसको दरकिनार कर दिया था।

विधायक महेंद्र सिंह भाटी हत्याकांड में सजा काट रहे लक्कड़पाला की 23 दिसंबर 2016 को दो माह के लिए पैरोल मंजूर हुई थी लेकिन पैरोल को हुए एक माह भी नहीं बीत सका था कि शासन के आदेश पर 11 जनवरी की देर शाम उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

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