इस घटना को 18 मार्च को उत्तराखंड विधानसभा में कांग्रेस के बागी विधायकों की ओर से सरकार को घेरने की घटना के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार के पलटवार के रूप में देखा जा रहा है. एक्शन मोड में आई प्रदेश सरकार ने 18 मार्च की घटनाक्रम के बाद क्या-क्या किए पलटवार, आप भी जानिए.
19 मार्च : बागी विधायकों का नेतृत्व कर रहे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत पर निशाना साधते हुए सीएम रावत ने सबसे पहले मंत्रिमंडल से उन्हें बर्खास्त करने की कार्रवाई की. हालांकि, हरक सिंह रावत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे पहले ही मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं.
19 मार्च को हुई कैबिनेट की बैठक में एडवोकेट जनरल यू.के. उनियाल को भी उनके पद से हटा दिया गया. गौरतलब है कि यूके उनियाल कांग्रेस के बागी विधायक सुबोध उनियाल के भाई हैं.
20 मार्च : सीएम हरीश रावत ने विधानसभा पहुंचकर हरक सिंह रावत का दफ्तर सील कराया. विधानसभा परिसर के दफ्तर में फाइलों को खंगाल कर ताला लगा दिया गया.
20 मार्च : बागी विधायकों के घर कारण बताओ नोटिस चस्पा किए गए. सभी विधायकों को दल-बदल अधिनियम के तहत नोटिस जारी किए गए.
20 मार्च : हरक सिंह रावत समर्थक मंडी समिति अध्यक्षों पर गिरी गाज. रावत सरकार ने 6 मंडी समिति अध्यक्ष हटाए, जिनमें हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश, लक्सर, जसपुर और सितारगंज मंडी अध्यक्ष शामिल हैं.
20 मार्च : कांग्रेस संगठन की 9 इकाइयां भंग कर दी गईं. बागी विधायकों के क्षेत्र की इकाइयों को प्रदेश अध्यक्ष ने भंग कर दिया.
21 मार्च : उत्तराखंड में पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते कांग्रेस ने विजय बहुगुणा के दोनों बेटों साकेत और सौरभ बहुगुणा को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया है.
21 मार्च : उत्तराखंड में कांग्रेस महासचिव अनिल भी पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में कांग्रेस से निष्कासित.