अद्धयात्म
उपवास से आप भी प्राप्त कर सकते हैं ये दुर्लभ वरदान

दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ 
भविष्य पुराण के अनुसार व्रताचरण, उपवास, नियमों के पालन तथा दान करने से सभी देवता, ऋषि-मुनि तथा संसार के सभी प्राणी प्रसन्न हो जाते हैं। वस्तुत: व्रत करने के समान कोई तप नहीं है। महामति महर्षि विश्वामित्र ने व्रत से ही उत्तम शक्तियां प्राप्त की थी। दान में अस्थि तक देने वाले महर्षि दधीचि की कीर्ति आज तक अजर-अमर है।

भविष्य पुराण के अनुसार व्रताचरण, उपवास, नियमों के पालन तथा दान करने से सभी देवता, ऋषि-मुनि तथा संसार के सभी प्राणी प्रसन्न हो जाते हैं। वस्तुत: व्रत करने के समान कोई तप नहीं है। महामति महर्षि विश्वामित्र ने व्रत से ही उत्तम शक्तियां प्राप्त की थी। दान में अस्थि तक देने वाले महर्षि दधीचि की कीर्ति आज तक अजर-अमर है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति व्रत, उपवास, नियम, होम, स्वाध्याय, तर्पण, यज्ञ, दान तथा ध्यान करता है, वह भगवान नारायण की कृपा से अत्यंत दुर्लभ सायुज्य मोक्ष को भी प्राप्त कर लेता है। व्रतों में तीन बातों की प्रधानता है- संयम, देवाराधन और सजगता।
वेदों से लेकर समस्त धर्म ग्रंथों में व्रताचरण को अत्यंत महत्त्व दिया गया है। यजुर्वेद में उल्लेख है कि व्रत धारण करने से मनुष्य दीक्षित होता है। दीक्षा से दाक्षिण्य प्राप्त होता है और उससे श्रद्धा प्राप्त होती है। श्रद्धा से ही सत्य की प्राप्ति होती है। व्रत-उपवास आज की जीवनशैली में भी प्रासंगिक हैं।