अद्धयात्म
उसने मरते वक्त कहे ऐसे शब्द कि रब ने माफ कर दिए सब गुनाह!


इसीलिए बहुत से लोग उससे चीजें खरीदकर उसे खोटे सिक्के दे दिया करते थे। वह उन सिक्कों को खुशी-खुशी ले लेता था। किसी ने उसे कभी यह कहते नहीं सुना कि यह सही है और यह गलत है।
कभी-कभी तो उससे सामान लेने वाले लोग उसे कह देते थे कि उन्होंने दाम चुका दिया है और वह उनसे पलटकर कभी नहीं कहता था कि नहीं, तुमने पैसे नहीं दिए हैं। वह सिर्फ इतना ही कहता ठीक है और उन्हें धन्यवाद देता।
दूसरे गांवों से भी लोग आते और बिना दाम चुकाए उससे सामान ले जाते या उसे खोटे पैसे दे देते। वह किसी से कोई शिकायत नहीं करता।
समय गुजरते वह आदमी बूढ़ा हो गया और एक दिन उसकी मौत की घड़ी भी आ गई। कहते हैं कि मरते हुए ये उसके अंतिम शब्द थे, मेरे खुदा, मैंने हमेशा ही सब तरह के सिक्के लिए, खोटे सिक्के भी लिए।
मैं भी एक खोटा सिक्का ही हूं, मुझे मत परखना। मैंने तुम्हारे लोगों का फैसला नहीं किया, तुम भी मेरा फैसला मत करना। ऐसे आदमी को खुदा कैसे परखता?