नईदिल्ली : भारत और चीन के संबंध एक बार फिर पटरी पर लौट आए हैं। पिछले साल दो महीने से ज्यादा समय तक चले डोकलाम विवाद के कारण आई कड़वाहट को भुलाकर अब दोनों देश एक सकारातमक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार दोनों देशों के संबंधों में सकारात्मक विकास हुआ है। बीजिंग ने भारतीय उत्पादों को अपने बाजार में जगह दी है। सूत्र ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार असंतुलन को पाटने के लिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। डोकलाम सेक्टर में पिछले साल भारत और चीन की सेनाओं के बीच 73 दिन तक चले गतिरोध के बाद दोनों देशों के संबंधों में ठंडापन आ गया था। दोनों पड़ोसियों के बीच राजनीतिक संबंध न सिर्फ सामान्य हुआ है बल्कि पिछले एक वर्ष में यह बेहतर भी हुआ है। साथ ही उन्होंने बताया कि भारत चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) और जिस प्रकार उस परियोजना में अंतरराष्ट्रीय नियमों की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं, उसे लेकर चिंतित है।
भारत चीन से आशा करता है कि वह हमारे उत्पादों को अपने बाजार में जगह देने के लिए बातचीत करेगा। डोकलाम एक विवादित भूभाग है जिसपर चीन और भूटान दोनों ही अपना दावा ठोंकते हैं। भारत मानता है कि वह भूखंड भूटान का है। इसके साथ ही यह इलाका भारतीय मुख्य भू-भाग को नॉर्थ ईस्ट से जोडऩे वाले चिकन नेक के बेहद करीब है इसलिये यह सामरिक दृष्टि से भी भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। पिछले साल जून में चीनी सेना ने इस इलाके में सड़क निर्माण शुरू कर दिया। भूटान की तरफ मदद का हाथ बढ़ाते हुए भारतीय सेना डोकलाम तक पहुंच गई और उसने सड़क निर्माण कार्य रोक दिया। इसके बाद 73 दिनों तक दोनों देशों की सेनाएं उसी स्थिति में तैनात रहीं. राजनयिक बातचीत के बाद अगस्त में गतिरोध तो समाप्त हो गया लेकिन दोनों देशों के रिश्तों में ठंडापन आ गया।