नई दिल्ली : चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ वुहान में अनौपचारिक वार्ता कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह साबित किया है कि चीन के साथ रिश्तों को भारत नए परिप्रेक्ष्य में देख रहा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भारत चीन को लेकर संशकित उसके पड़ोसी देशों के साथ अपने रिश्तों को मजबूत नहीं करेगा। पीएम मोदी यही बात अपनी इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर की यात्रा से साबित कर रहे हैं। मोदी मंगलवार को इन देशों की पांच दिवसीय यात्रा पर रवाना हो चुके हैं। माना जा रहा है कि भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के तहत पीएम मोदी की यह यात्रा बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी। मोदी पहले चरण में इंडोनेशिया जाएंगे जो लगातार भारत को यह संदेश दे रहा है कि बेहद करीबी रणनीतिक रिश्ते बनाने में अब ज्यादा देरी नहीं की जानी चाहिए। कई बार जकार्ता की तरफ से यह संकेत भी दिया गया है कि भारत उसकी पहल का सही तरीके से जवाब नहीं देता है। उम्मीद है कि मोदी की इस यात्रा से नए भरोसा का संचार होगा। इंडोनेशिया की यह मोदी की पहली यात्रा होगी और इसके साथ ही इस क्षेत्र के सभी दस देशों की यात्रा अपने एक ही कार्यकाल में करने वाले वह पहले पीएम भी बन जाएंगे। आसियान के दस देश हैं जिनमें से नौ देशों की यात्रा मोदी बतौर पीएम कर चुके हैं। दूसरे चरण में वे मलेशिया जाएंगे जहां उनकी नए प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद से अनौपचारिक मुलाकात होगी। महाथिर मोहम्मद पिछले हफ्ते ही एक बार फिर मलेशिया के प्रधानमंत्री बने हैं। उनके पुराने कार्यकाल के दौरान भी भारत व मलेशिया के रिश्ते काफी अच्छे थे। वह चीन की विस्तारवादी नीतियों के खासे आलोचक हैं। बताते चलें कि पीएम मोदी की पहले सिर्फ इंडोनेशिया और सिंगापुर जाने की ही तैयारी थी लेकिन मलेशिया में सत्ता परिवर्तन को देखते हुए उसे भी दौरे में शामिल किया गया है। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक दोनों देशों की यात्रा के दौरान रक्षा क्षेत्र में सहयोग एजेंडे में काफी प्रमुख रहेगा। प्रधानमंत्री के तौर पर यह मोदी की तीसरी सिंगापुर यात्रा होगी। यह बताता है कि भारतीय कूटनीति में चीन से सटे इस छोटे से देश को कितनी अहमियत मिल रही है। विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) प्रीति शरण का कहना है कि भारत के लिए सिंगापुर और इंडोनेशिया दोनों ही रणनीतिक साझेदार देश हैं। हाल के दिनों में जिस तरह से हिंद-प्रशांत महासागर में सुरक्षा का मुद्दा वैश्विक स्तर पर छा गया है उसे देखते हुए भी पीएम मोदी की इस यात्रा की अपनी अहमियत है। सिंगापुर और इंडोनेशिया के साथ भारत सामुद्रिक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के कई विकल्पों पर विचार कर रहा है। इस बारे में जनवरी, 2018 में इन दोनों देशों के साथ बातचीत भी हुई थी। इंडोनेशिया व भारत के बीच इस वर्ष के शुरुआत में सुरक्षा संबंधों को बहुआयामी बनाने की रणनीति बनी थी। पीएम मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो इस रणनीति की समीक्षा करेंगे। मलेशिया और इंडोनेशिया यात्रा के दौरान मोदी आतंकवाद पर भी चर्चा करेंगे। ये दोनों देश दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देशों में शामिल हैं। साथ ही ये दोनों मुस्लिम बहुल देशों के संगठन ओआइसी के प्रमुख सदस्य भी हैं। आतंकवाद से प्रभावित होने के बावजूद इन दोनों देशों ने कट्टर इस्लाम पर काफी सटीक तरीके से काबू पाया है। पूर्व में भी भारत इन दोनों देशों से यह सीखने की कोशिश की है कि कट्टरता पर किस तरह कसे काबू पाया जाए। पीएम मोदी की यह कोशिश भी होगी कि वह इन दोनों देशों को आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ करे ताकि इस्लामिक देशों के सहयोग संगठन (ओआइसी) में पाकिस्तान के दुष्प्रचारों को रोका जा सके। मोदी इंडोनेशिया में भारतीय समुदाय से भी मिलेंगे और पतंग उड़ाने के एक कार्यक्रम भी वहां के राष्ट्रपति के साथ हिस्सा लेंगे।