प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चरखा चलाते हुए तस्वीर का इस्तेमाल खादी ग्रामोद्योग द्वारा होने से बवाल मचा हुआ है। इस तस्वीर की वजह से विपक्षियों को मौका मिल गया। पीएम मोदी पर अशोभनीय तंज भी कसे गए। ऐसे में उनपर यह भी आरोप लगाया गया कि उन्होंने राष्ट्रपिता गांधी जी को नज़रअंदाज करने के साथ उनका अपमान भी किया। इन सब बातों के विपरीत पीएम मोदी ने इस मामले से अनभिज्ञता जताई है। साथ ही इस फोटो का इस्तेमाल करने वालों से इसका जवाब मांगा है। खादी के इस कदम से वे काफी नाराज है। खबर यह भी है कि दोषी पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।
नरेंद्र मोदी लेंगे एक्शन
ख़बरों के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले में माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) से जवाब मांगा है। खबर के मुताबिक पीएम मोदी खादी के इस कदम से सख्त नाराज हैं।
अधिकारियों ने का कहना है कि बिना इजाजत सरकारी या प्राइवेट एंटिटी की तरफ से ‘प्रधानमंत्री को खुश करने या उनके करीब दिखने के लिए ऐसा पहली बार नहीं हुआ है।’
इससे पहले टेलीकॉम कंपनी जियो और पेटीएम के विज्ञापन में भी प्रधानमंत्री की फोटो का बिना इजाजत इस्तेमाल हुआ था।
पीएम मोदी की फोटो खादी के वार्षिक कलैंडर पर लगाने को लेकर छिड़े विवाद पर भाजपा सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा था कि खादी ग्रामोद्योग की डायरी और कैलेंडर के मामले को लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है।
शर्मा ने कहा कि खादी के कैलेंडर और डायरी में सिर्फ गांधीजी की तस्वीर लगे ऐसा कोई नियम नहीं हैं, इसलिए किसी नियम का उल्लघंन नहीं हुआ हैं।
इससे पहले 1996, 2002, 2005, 2011, 2012 और 2013 में भी जो खादी ग्रामउद्योग का कैलेंडर रिलीज हुआ था उसमें भी गांधी जी की तस्वीर नहीं थी।
भाजपा का कहना है कि पीएम मोदी ने खादी को बतौर ब्रांड के रूप में प्रचारित किया है। उनके जरिए खादी की ब्रांडिंग के बाद से बिक्री में अभुतपूर्व वृद्धि हुई है। जबकि यूपीए की 10 सालों की सरकार में खादी की बिक्री 2 से 7 प्रतिशत तक होती थी।
वहीं एनडीए सरकार द्वारा नियुक्त किए गए केवीआईसी के चीफ वी के सक्सेना ने हाल ही में कहा था कि प्रधानमंत्री की तस्वीरों का इस्तेमाल संस्थान के मूल आदर्शों से मेल खाता है।
उन्होंने कहा था कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से खादी को बढ़ावा मिला है। इसलिए उनके फोटो का इस्तेमाल हुआ।
सक्सेना का कहना है कि 2015-16 में खादी की बिक्री 34 पर्सेंट बढ़ी, जबकि उससे पहले के दशक में इसमें 2-7 पर्सेंट का इजाफा हुआ था।
बता दें कि खादी के इस कदम के बाद हमला बोलते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि गांधी बनने के लिए जन्मों की तपस्या करनी पड़ती है। चरखा कातने से कोई गांधी नहीं बन जाता है। बल्कि उपहास का पात्र बनता है।