एनजीटी का आदेश, बंद होंगी राजस्थान की 27 हजार खदानें!
उदयपुर. राजस्थान राजस्थान के खनन व्यवसाय पर बड़ा संकट मंडरा रहा है.
डैडलाइन खत्म
बिना पर्यावरण मंजूरी के चल रही हजारों खदानें बुधवार से बंद हो सकती हैं. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ‘एनजीटी’ की डैडलाइन का मंगलवार को अंतिम दिन है और एनजीटी ने अभी तक ईसी लेने की मियाद को बढ़ाने के आदेश नहीं दिए हैं. राजस्थान में मेजर मिनरल के 3106 खनन पट्टे, माइनर मिनरल के कुल 11,758 खनन पट्टे, 18,004 क्वारी लाइसेंस सहित कुल 32 हजार 868 खनन पट्टे सक्रिय हैं. इनमें से महज 5 हजार के पास पर्यावरण मंजूरी है.
2014 के हैं आदेश
खनन के चलते पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वर्ष 2014 में आदेश जारी किए कि 5 हैक्टेयर से छोटी खदानों को भी 12 जनवरी 2015 तक पर्यावरण मंजूरी यानी ईसी लेना जरूरी है. इसके बाद भी राज्य के खान विभाग और खनन व्यवसायियों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. लेकिन जैसे ही डैडलाइन पास आई दोनों एनजीटी की तरफ भागे. एनजीटी ने भी खदानों की संख्या को देखते हुए डैडलाइन की अवधि 12 जुलाई 2015 तक बढ़ा दी. लेकिन इस अवधि में भी ईसी पूरी तरह से जारी नहीं की जा सकी तो खान विभाग ने एनजीटी में ईसी लेने के लिए छह महीने की मोहलत और ले ली और यानी 12 जनवरी 2016 को यह अवधि पूरी हो रही है.
खनन रिश्वत कांड का असर
इस अवधि में भी महज डेढ़ हजार को ईसी मिल पाई और साढ़े चार हजार ने आवेदन कर रखे हैं. दरअसल 16 सितंबर को हुए सबसे बड़े खनन रिश्वत कांड के चलते 20 सितंबर के बाद एक भी ईसी जारी नहीं की जा सकी. हालांकि इस अवधि में क्लस्टर ईसी लेने और जिलास्तर पर पर्यावरण समितियों का गठन करने का फार्मूला सामने आया लेकिन नतीजा सिफर रहा. खान विभाग ने 5 जनवरी को एनजीटी में फिर से अवधि बढ़ाने की मोहलत तो मांग ली लेकिन एनजीटी ने अभी तीसरा मौका दिया नहीं है. ऐसे में प्रदेश की 27 हजार से ज्यादा खदानों पर बंद होने का संकट खड़ा हो गया है.
अभी भी उम्मीद
हालांकि खान विभाग के निदेशक डीएस मारू का कहना है कि देर सवेर मोहलत मिल जाएगी लेकिन जब तक मंजूरी नहीं मिलती खदानों को बंद करना पडेगा और ऐसा नहीं किया गया तो नियमित खदानों के द्वारा खनन भी अवैध खनन माना जाएगा. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि खान विभाग और खनन व्यासायियों की उदासीनता प्रदेश के खनन उद्योग को चौपट करने की स्थिति में ले आई है और एनजीटी ने मोहलत नहीं दी तो प्रदेश की खदानों का बंद होना तय है.