उत्तराखंड

एनजीटी के प्रतिबंध से 21 शहरों के वजूद पर छाया संकट

acr468-5614377569964ngtगंगा के दोनों किनारों से 100 मीटर तक निर्माण की पाबंदी का निर्देश नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने जारी तो कर दिया है, लेकिन इसे जमीन पर उतारने में शासन के हाथ-पैर फूल रहे हैं। अगर इस निर्देश पर अमल किया गया तो सालों से गंगा किनारे बसे 21 शहरों पर संकट खड़ा हो जाएगा। इसके अलावा लगभग चार सौ गांव इसकी चपेट में आ जाएंगे। गोमुख से हरिद्वार तक अधिकांश आबादी गंगा नदी के किनारे ही बसी हुई है।

गोमुख से हरिद्वार तक गंगा की लंबाई तकरीबन 500 किमी है। हरिद्वार, ऋषिकेश के अलावा देवप्रयाग, कर्णप्रयाग, कीर्तिनगर, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ गंगा किनारे ही आबाद हैं। कुछ गांव और कस्बे ऐसे भी हैं जिनका आकार अगर गंगा किनारे नापा गया तो सौ मीटर में सरहद ही पार हो जाएगी।

एनजीटी की चैंबर मीटिंग में इस निर्देश के अनुपालन में आ रही दिक्कत अफसरों ने साफ कर दी। वन संरक्षक एसपी सुबुद्धि ने बताया कि चैंबर मीटिंग में एनजीटी चेयरमैन के समक्ष यह मसला रखा गया।

ट्रिब्युनल से कहा गया है कि इस निर्देश के अनुपालन के संबंध में दिक्कत और सुझाव पेश किए जाएंगे। नमामि गंगे मिशन के तहत गंगा बेसिन का एक्शन प्लान सुबुद्धि ने ही तैयार किया है।

बैठक में उठा कालागढ़ प्रकरण
एनजीटी चैंबर मीटिंग में कालागढ़ का मामला भी रखा गया। अधिकारियों के अनुसार कार्बेट एरिया में 9 हजार हेक्टेयर में रामगंगा परियोजना पर यूपी का सिंचाई विभाग काम कर रहा था। इस पर कालोनी बनाई गई थी। 1999 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 349 हेक्टेयर भूमि कार्बेट को वापस करने का आदेश किया। वर्ष 2003 में अफसरों की टीम भी मौके पर निरीक्षण करने गई। कालोनी के 51 हेक्टेयर भूमि पर यूपी के सिंचाई विभाग का कब्जा है। यह भूमि यूपी लौटा नहीं रहा है। रिजर्व फोरेस्ट क्षेत्र में आने वाली इस भूमि पर अवैध कब्जे भी हो गए हैं।

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