बालाकोट एयरस्ट्राइक के 32 दिन के बाद पाकिस्तान सेना पत्रकारों के एक ग्रुप को घटनास्थल पर लेकर गई. हालांकि सच जानने गए पत्रकारों को यहां भी निराशा हाथ लगी. बालाकोट के कुछ इलाके अभी भी पाकिस्तानी अर्द्धसैनिक बलों ने घेर रखे हैं और यहां पर किसी को जाने की इजाजत नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक बालाकोट स्थित मदरसे में अभी भी 300 बच्चे मौजूद हैं. ये पूरी जानकारी खुफिया सूत्रों ने आजतक को दी है.
सूत्रों ने बताया कि 28 मार्च को पाकिस्तान सेना पत्रकारों के एक समूह को हेलिकॉप्टर के जरिए बालाकोट लेकर गई. सूत्र ने कहा, ” उन्हें हेलिकॉप्टर के जरिए लोकेशन पर ले जाया गया, उन्हें बच्चों से बात करने की इजाजत थी, उन्हें वीडियो भी बनाने का मौका दिया गया.” खुफिया सूत्रों ने कहा कि घटनास्थल का कुछ हिस्सा अभी भी कवर रखा गया है, वहां पर किसी को जाने की इजाजत नहीं है, उस जगह की हिफाजत फ्रंटियर कॉर्प्स के जवान कर रहे हैं. फ्रंटियर कॉर्प्स पाकिस्तान की अर्द्धसैनिक बलों की एक टुकड़ी है.
भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने 27 फरवरी को कहा कि इस ट्रेनिंग कैंप में छिपे जैश के आतंकियों का भारत ने खात्मा कर है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इनकी संख्या 300 से ज्यादा थी. हालांकि पाकिस्तान का कहना है कि भारत के हमले में कोई नुकसान नहीं हुआ था, लेकिन पिछले एक महीने से पाकिस्तान ने इस जगह को घेर रखा है. यहां पर पाकिस्तान के अर्द्धसैनिक बल, स्थानीय पुलिस तैनात है. इस जगह के आस-पास किसी को जाने की इजाजत नहीं है.
मीडिया एजेंसी रॉयटर्स की टीम ने 28 फरवरी से लेकर 8 मार्च के बीच तीन बार बालाकोट में जाने की कोशिश की, लेकिन तीनों ही बार उन्हें पाक सेना ने मना कर दिया. पाक सेना ने कभी खराब मौसम का हवाला दिया तो कभी सुरक्षा कारणों का. इंडिया टुडे ने अपने स्टिंग ऑपरेशन से खुलासा किया था इस हमले में आतंकियों के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना के जवान भी मारे गए हैं.