एयरसेल-मैक्सिस माममें में स्वामी की याचिका पर अब कल सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने एयरसेल- मैक्सिस मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय के एक अधिकारी के खिलाफ मुकदमे में पक्षकार बनाए जाने की भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी की अर्जी पर पर अब बुधवार को सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति अरूण कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अवकाशकालीन पीठ ने स्वामी को आज निर्देश दिया कि वह अपनी अर्जी की प्रति याचिका दायर करने वाले रजनीश कपूर को भी दें। कपूर ने ही निदेशालय के अधिकारी राजेश्वर सिंह पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुये याचिका दायर की है। पीठ ने कपूर से कहा कि वह मुकदमे की सुनवाई के दौरान उसके समक्ष उपस्थित रहें।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि कपूर और उनके वकील दोनों की अनुपस्थित हैं और स्वामी से सवाल किया कि क्या अर्जी की प्रति उन्हें (कपूर को) दी गयी है। स्वामी ने कहा कि उन्होंने अर्जी की प्रति तामील करा दी है, लेकिन याचिकाकर्ता की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
पीठ ने कहा, ‘‘तब हम मामले पर कल सुनवाई करेंगे और आप अर्जी की प्रति तामील कराएं और उन्हें व्यक्तिगत रूप से भी कल उपस्थित रहने की सूचना भी दें।’’ न्यायालय ने कहा कि वह राजेश्वर सिंह की अवमानना याचिका पर कल सुनवाई करेगी। सिंह ने अनुरोध किया है कि एयरसेल- मैक्सिस मामले की जांच में अवरोध पैदा करने की कोशिश की जा रही है, ऐसे में अवमानना की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।
वहीं कपूर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि एयरसेल – मैक्सिस मामले में जांच अधिकारी सिंह ने उनके आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक धन एकत्र किया है। स्वामी, जिन्होंने इससे पहले एयरसेल-मैक्सिस मामले की जांच में तेजी के लिये शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी, ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी के खिलाफ कपूर की याचिका में खुद को पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुये अर्जी दायर की है।
भाजपा नेता का कहना था कि न्यायालय ने 12 मार्च को टिप्पणी की थी कि कुछ अदृश्य व्यक्ति इन मामलों की जांच में बाधा डाल रहे हैं और उसने सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय को अपनी जांच छह महीने में पूरी करने का निर्देश दिया था। सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस सूरी ने पीठ से कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी ने इस मामले में अवमानना याचिका भी दायर की है और न्यायालय को इस पर भी सुनवाई करनी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने 12 मार्च को जांच एजेन्सियों को इन मामलों में छह महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने का आदेश दिया था और इसमें एक आरोप पत्र दाखिल हो चुका है जबकि निदेशालय एक अन्य आरोप पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया में है। दूसरी ओर, सिंह ने दावा किया है कि इसी तरह का मुद्दा करीब सात साल पहले टूजी मामले की सुनवाई करने वाली न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष भी उठाया गया था। लेकिन केन्द्रीय सतर्कता आयोग और सीबीआई ने उस समय सिंह को क्लीन चिट दे दी थी अब एक बार फिर वही आरोप लगाये गये हैं।
यह मामला बतौर वित्त मंत्री चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान एयरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। इस मामले में जांच एजेंसियों ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके पुत्र कार्ति से भी पूछताछ की थी।