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ऐतिहासिक रहा इस बार 68वां गणतंत्र दिवस परेड, जानें खास बातें

देश आज 68वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। राजधानी के राजपथ पर पारंपरिक गणतंत्र दिवस परेड में देश की संस्कृति और शौर्य का प्रदर्शन हुआ। यह परेड कई मायनों में ऐतिहासिक रही। 32 साल में पहली बार एनएसजी कमांडो ने इस परेड में हिस्सा लिया। भारत के इतिहास में यह पहला मौका रहा जब दिल्ली के राजपथ पर भारतीय सैनिकों के साथ अरब खाड़ी के किसी देश के सैनिक कदमताल किया। इस बार गणतंत्र दिवस के समारोह में संयुक्त अरब अमीरात के शहजादे मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।

इस बार परेड में पूरी तरह स्वदेशी लड़ाकू विमान ‘तेजस’ आसमान में गर्जना करते नजर आया। ‘तेजस’ ने गणतंत्र दिवस की परेड में फ्लाई पास्ट में हिस्सा लिया। राजपथ पर तीन ‘तेजस’ विमान आकाश में उड़ान भरते हुए विजयी प्रतीक अंग्रेजी के वी के आकार में नजर आए। देश में बने इस लड़ाकू विमान को पिछले साल जुलाई में ही भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। तेजस के साथ सुखोई, मिराज, मिग-29 और जगुआर जैसे 35 लड़ाकू विमानों की गड़गड़ाहट से आसमान थर्रा उठा।

26 जनवरी को राजपथ पर होने वाली परेड के दौरान दुनिया को भारत में बनी देसी बोफोर्स धनुष की झलक दिखी। यह पहला मौका रहा जब धनुष को सार्वजनिक तौर पर सामने लाया गया। धनुष इंडियन आर्मी के लिए काफी अहम है क्‍योंकि इंडियन आर्मी के लिए आखिरी बार तोपों के नाम पर बोफोर्स को खरीदा गया था। धनुष 155 एमएम X 45 एमएम कैलीबर वाली तोप है।\इस बार गणतंत्र दिवस की परेड बीते साल की तुलना में छोटी रही। करीब दो घंटे तक चलने वाले मार्च-पास्ट को घटाकर 90 मिनट का कर दिया गया।

इससे पहले इंडिया गेट पहुंचे पीएम मोदी को इस अवसर पर तीनों सेनाओं द्वारा गॉड ऑफ ऑनर दिया गया जिसके बाद उन्होंने अमर जवान ज्योति पर देश के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी के साथ रक्षा मंत्री, और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने भी अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि दी।

पीएम मोदी के राजपथ पर पहुंचनेे के बाद मुख्य अतिथि संयुक्त अरब अमीरात के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी राजपथ पर पहुंचे। 10 बजे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के झंडा फहराने के बाद गणतंत्र दिवस परेड का शुभांरभ हुआ। राष्ट्रगान के साथ समारोह की शुरुआत हुई और राष्ट्रपति ने तिरंगे को सलामी दी।

राष्ट्रपति ने हवालदार हंगपन दादा को मरणोपरंपरात आशोक चक्र से सम्मानित किया। हंगपन दादा की पत्नी ने यह सम्मान ग्रहण किया। विंग कमांडर रमेश कुमार दूबे के नेतृत्व में परेड की शुरुआत हुई। चार एमआई-17 हेलिकॉप्टर आकाश से पुष्प वर्षा की। इनमें से एक हेलिकॉप्टर तिरंगा लेकर उड़ा, जबकि तीन अन्य हेलिकॉप्टरों पर सेना, नौसेना और वायु सेना की पताका फहराया गया। इसके बाद 61 कैवेलरी के अश्वरोहियों का दस्ता राजपथ से गुजरा जिसके पीछे इन्फैंट्री कॉम्बैक्ट व्हीकल का दस्ता भी था।

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