लखनऊ: प्रदेश सरकार ने सोमवार को कहा कि आंधी-पानी और ओलावृष्टि से बुरी तरह प्रभावित जिलों की संख्या 40 तक पहुंच गई है। मौसम के इस कहर से प्रदेश के पांच लाख से अधिक किसान प्रभावित हुए हैं। फसलों को हुए नुकसान का आंकड़ा भी 1100 करोड़ रुपए को पार कर गया है। सरकार ने 25 से 50 फीसदी फसलों के नुकसान वाले जिलों से भी सर्वे रिपोर्ट तलब की है। मुआवजे के मानक में परिवर्तन के लिए मुख्यमंत्री की तरफ से प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया है। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने सोमवार को यहां पत्रकारों से कहा कि अब तक प्रभावित जिलों की संख्या 34 थी। उन्होंने सोमवार को स्वयं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों व मंडलायुक्तों से बात की है, जिसमें इस प्राकृतिक आपदा की सही तस्वीर सामने आई है। चार दिन पूर्व प्रदेश के कई इलाकों में भीषण बरसात के साथ हुई ओलावृष्टि के कारण नुकसान के आंकड़े में वृद्धि हुई है। छह नए जिलों में हुए नुकसान को जोड़कर केन्द्र सरकार को आपदा राहत के लिए नया मांगपत्र भेजा गया है।
आलोक रंजन ने कहा कि भारी तबाही के दृष्टिगत राज्य सरकार ने आपदा राहत के जो मानक हैं, उसमें परिवर्तन कर मुआवजा राशि दोगुनी कर दी है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी बकायों की वसूली स्थगित कर दी गई है तथा आरसी की कार्रवाई भी रोक दी गई है। बैंकों को निर्देश दिये गये हैं कि वे ऋण वसूली के लिए किसानों पर दबाव न बनायें। किसानों के आत्महत्या से जुडे़ सवाल पर मुख्य सचिव ने कहा कि शासन को जो रिपोर्ट मिल रही है, उसमें मौत का कारण दुर्घटना या पारिवारिक विवाद ही सामने आया है। बावजूद इसके जिलाधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि जहां भी किसी किसान की मौत की सूचना मिले, मौके पर जाकर उसकी जांच करें और मौत के कारणों की रिपोर्ट शासन को भेजें।