कई सालों के बाद बन रहा दुर्लभ योग, विशेष फलदायी होगा साबित-महाशिवरात्रि
दस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली : महाशिवरात्रि का त्योहार इस साल 7 मार्च को यानी सोमवार को मनाया जाएगा। देवों के देव महादेव की आराधना का महापर्व शिवरात्रि इस बार सोमवार के दिन शिवयोग धनिष्ठा नक्षत्र में 7 मार्च को है। इस साल महाशिवरात्रि का पर्व भोले बाबा के प्रिय वार यानी सोमवार को मनाया जाएगा। सोमवार का दिन तो वैसे भी शिव का प्रिय दिन है। इस दिन दुर्लभ शिवयोग का संयोग श्रद्घालुओं के लिए विशेष फलकारी है। 4 साल बाद बना यह योग लोगों के जीवन में शिव की कृपा प्राप्ति में सहायक रहेगा। इससे पहले यह वर्ष 2012 में आया था। साथ ही इस दिन पंचग्रही और चांडाल योग भी रहेगा।
देश भर के शिव मंदिरों और शिवालयों में तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। महाशिवरात्रि का पावन दिन सभी कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर और विवाहित महिलाओं को अखंड सुहाग का वरदान दिलाने वाला सुअवसर प्रदान करता है। अगर विवाह में कोई बाधा आ रही हो, तो भगवान शिव और जगत जननी के विवाह दिवस यानी महाशिवरात्रि पर इनकी पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। इस दिन व्रती को फल, पुष्प, चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप, दीप और नैवेद्य से चारों प्रहर की पूजा करनी चाहिए। दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिव को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें। चारों प्रहर के पूजन में शिव पंचाक्षर ‘ओम् नमः शिवाय’ मंत्र का जप करें। महाशिवरात्रि पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु शिव मंदिरों में जाकर भगवान शंकर की पूजा करते हैं। महाशिवरात्रि पर दिनभर पूजन के बाद शाम को शिवजी की बारात धूमधाम से निकलती है। शास्त्रों में सोमवार को भगवान शंकर हेतु विशेष माना जाता है क्योंकि सोमवार चंद्रदेव को समर्पित है व भगवान शंकर को चंद्रशेखर भी कहा जाता है। भगवान शंकर के पूजन से सुख-समृद्धि मिलेगी। इस बार शिव योग रात 8.18 बजे तक रहेगा। सोमवार शिव आराधना के लिए श्रेष्ठ होता है और चार साल बाद महाशिवरात्रि सोमवार को रही है।
इस बार सात मार्च को मनाए जा रहे महाशिवरात्रि पर्व पंचग्रही व शिव योग में मनाया जाएगा। इस दिन कुंभ राशि में सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र व केतु का मिलन होगा। जिससे इसकी मान्यता और भी बढ़ जाती है। इस बारे में ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि कुंभ राशि में पाच ग्रहों का यह योग महाशिवरात्रि पर चारों प्रहर की पूजा करने वाले शिव भक्तों को स्थिर लक्ष्मी व अरोग्यता प्रदान करेगा। जो व्यक्ति पूरे वर्ष कोई उपवास नहीं रखता है, लेकिन वह केवल शिवरात्रि का ही व्रत कर लेता है तो उसे साल भर किए जाने वाले उपवासों के बराबर फल की प्राप्ति होती है