कठुआ गैंगरेप में जमानत अर्जी ख़ारिज
जम्मू के कठुआ में 8 साल की बच्ची से हुए गैंगरेप और हत्या के मामले में अदालत ने नाबालिग आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. बता दें कि इससे पहले जम्मू कश्मीर पुलिस ने कहा था कि वो इस मामले में जल्द ही पूरक आरोप पत्र (सप्लीमेंट्री चार्जशीट) दाखिल करेगी. वकीलों के प्रदर्शन के बीच अपराध शाखा ने कठुआ की अदालत में नौ अप्रैल को मामले के आठ आरोपियों में से सात के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. अगले दिन पुलिस ने एक अन्य आरोपी के खिलाफ अलग से आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसे पहले नाबालिग बताया जा रहा था.
बता दें कि बच्ची का शव 17 जनवरी को जंगल में मिला था. वह एक हफ्ते पहले उसी इलाके में लापता हो गई थी. सरकार ने 23 जनवरी को मामले की जांच राज्य पुलिस की अपराध शाखा को सौंप दी थी. अपराध शाखा ने विशेष जांच दल गठित किया जिसने दो विशेष पुलिस अधिकारियों और एक हेड कॉन्स्टेबल समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
हालांकि जम्मू कश्मीर की क्राइम ब्रांच द्वारा दाखिल चार्जशीट के सही होने पर तमाम सवाल खड़े किए जा रहे हैं. 15 पन्नों की इस चार्जशीट में रासना गांव में देवीस्थान, मंदिर के सेवादार सांझीराम को मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है. इसमें कहा गया है कि मास्टरमाइंड सांझीराम ने उस क्षेत्र से बकरवाल समुदाय को भगाने के लिए इस घिनौने कृत्य को अंजाम दिया. इसके लिए उसने अपने नाबालिग भतीजे और अन्य छह लोगों के साथ मिलकर बच्ची का रेप व हत्या की.
पुलिस के मुताबिक साजिशकर्ता सांझीराम के साथ विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, उसके दोस्त परवेश कुमार उर्फ मन्नू, भतीजा राम किशोर और उसका बेटा विशाल जंगोत्रा उर्फ शम्मा भी कथित रूप से इस घिनौने कृत्य में शामिल रहे. चार्जशीट में कहा गया है कि रेप के बाद उसकी हत्या कर दी गई. मारने के बाद भी आरोपियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि मासूम मर जाए, उसके सिर पर पत्थर से कई वार किए. बाद में जांच के दौरान सांजीराम ने पुलिसकर्मियों को मामला दबाने के लिए 1.5 लाख रुपये की रिश्वत भी दी.