कतर ने की ओपेक से बाहर निकलने की घोषणा, अमेरिका में बेकाबू हुई पेट्रोलियम की कीमतें
उन्होंने कहा कि कतर आगे भी कच्चा तेल का उत्पादन जारी रखेगा लेकिन वह गैस उत्पादन पर अधिक ध्यान देने वाला है क्योंकि वह विश्व में द्रवीकृत प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा निर्यातक है। काबी ने कहा, ‘‘कच्चा तेल में हमारे लिये अधिक संभावनाएं नहीं हैं। हम वास्तविकता पर यकीन करते हैं। हमारी संभावनाएं गैस में हैं।’’
काबी ने कहा कि ओपेक को घोषणा से पहले ही इस निर्णय के बारे में सूचित कर दिया गया है। कतर ओपेक में 1961 में शामिल हुआ था। ओपेक पर सऊदी अरब का दबदबा चलता है। दोनों देशों के बीच जून 2017 से संबंध खराब चल रहे हैं। एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘कतर ने जनवरी 2019 में ओपेक से अपनी सदस्यता वापस लेने का निर्णय लिया है।’’ बता दें कि यह पेट्रोलियम उत्पादक वाले 14 देशों का संगठन है।
तेल की कीमतों में सोमवार को 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ऐसा तब हो रहा है जब अमेरिका और चीन ने व्यापार युद्ध में 90 दिनों का विराम लगाने के लिए सहमति की है। इस हफ्ते होने वाली बैठक से पहले उम्मीद की जा रही थी तेल के दामों में कमी आएगी। यह बैठक 6 दिसंबर को होनी है। ऐसे में तेल व्यापारियों की नजर इस बैठक पर है।
कतर का तेल उत्पादन 6 लाख बीपीडी है। जो काफी कम है लेकिन यह देश दुनिया का सबसे बड़ा एलपीजी गैस निर्यातक देश है। इस छोटे से खाड़ी देश के अपनी पड़ोसी देश और ओपेक के लीडर सऊदी अरब के साथ झगड़ा भी है।
ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक ओपेक के बाहर रूस में तेल का उत्पादन नवंबर में 11.37 मिलियन बीपीडी था, यह उसके अक्तूबर के 11.41 मिलियन बीपीडी के रिकॉर्ड से कम है। वहीं अमेरिकी तेल उत्पादकों ने रिकॉर्ड मात्रा में तेल का उत्पादन जारी रखा हुआ है। यहां का तेल उत्पादन 11.5 मिलियन बीपीडी से भी अधिक है। अधिकतर विश्लेषकों का यह भी मानना है कि साल 2019 में अमेरिका में तेल का उत्पादन और बढ़ेगा।
तेल की कीमतें बढ़ना
अमेरिका में तेल की कीमतों में वृद्धि कनाडा से हुई घोषणा के बाद हुई। घोषणा में कहा गया कि अल्बर्टा प्रांत उत्पादकों पर उत्पादन में 8.7 फीसदी (3 लाख 25 हजार बैरल) की कटौती करने का दबाव बना रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है ताकि पाइपलाइन से संबंधित समस्या को हल किया जा सके। बता दें अलबर्टा के अधिकतर तेल का निर्यात अमेरिका में किया जाता है।
अमेरिका और चीन के बीच अर्जेंटीना में आयोजित हुए टी 20 सम्मेलन के दौरान 90 दिनों तक व्यापार युद्ध पर विराम लगाने के लिए सहमति बनी। अब ये देश आने वाले 90 दिनों तक एक दूसरे पर व्यापार शुल्क नहीं लगाएंगे।
दुनिया की इन दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच चल रहे व्यापार युद्ध का असर वैश्विक व्यापार पर भी पढ़ रहा था। जिससे आर्थिक मंदी का डर बना हुआ था। हालांकि इन्होंने जिन सामानों पर आयात शुल्क लगाया उनमें क्रूड ऑयल शामिल नहीं था लेकिन अब व्यापारियों का कहना है कि दोनों के बीच बनी सहमति से तेल के दामों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।