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करोड़ों लोगों के लिए मिसाल बनी आठवीं पास विजय देवी

vijay-devi-56c1498ad3692_exlstदस्तक टाइम्स एजेंसी/ अपनी पढ़ाई पूरी न कर पाने का रंज लाहौल-स्पीति की विजय देवी के मन में ऐसा घर कर गया कि उसने जनजातीय जिले की महिलाओं को साक्षर बनाने की ठान ली।

लगभग तीन दशक पहले विजय देवी ने बुजुर्ग महिलाओं को साक्षर करने का बीड़ा उठाया। छह माह तक बर्फ की कैद में रहने वाली घाटी और पढ़ाई से कोसों दूर रहने वाली महिलाओं में साक्षरता की लौ जलाने के लिए विजय देवी ने अपना घर तक नहीं बसाया।

आठवीं पास करने के बाद घर और अपने भाइयों के पालन-पोषण का भार अपने कंधों पर आने के बावजूद विजय की पढ़ाई तो छूट गई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वे भाइयों को पढ़ाने के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बनीं।

दिन में नौनिहालों और शाम को बुजुर्ग महिलाओं को पढ़ाती। महिला उत्थान और प्रौढ़ शिक्षा में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए उन्हें भारत सरकार के बाल विकास एवं महिला कल्याण विभाग ने वर्ष 2003 में राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित करवाया। 56 साल की विजय देवी अब भी महिलाओं को साक्षर करने में जुटी हुई हैं।

100 से ज्यादा महिलाओं को कर चुकी हैं साक्षर

विजय देवी की ओर से साक्षर करने के बाद 75 साल की तुली देवी प्रधान, 65 वर्षीय भीमी देवी वार्ड सदस्य बनीं। विजय अब तक 100 से ज्यादा महिलाओं को साक्षर कर चुकी हैं। वे एक गांव से दूसरे गांव जाकर महिलाओं को साक्षर बनने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। कन्या भ्रूण हत्या, पर्यावरण बचाने और नशे के खिलाफ अभियान में भी भागीदार बनी हैं।

अब तक आसपास के नौ महिला मंडलों की सदस्यों में वे साक्षरता की लौ जलाने में कामयाब रही हैं। कई अनपढ़ महिलाएं साक्षर होने के बाद पंचायती राज चुनाव में उतरीं और क्षेत्र के विकास के लिए बेहतरीन कार्य किया। विजय देवी कहती हैं कि अगर इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प मजबूत हो तो बिना संसाधनों के भी किसी अभियान को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है।

एसडीएम उदयपुर डॉ. अमित गुलेरिया कहते हैं कि घाटी की अनपढ़ महिलाओं को साक्षर बनाने में विजय देवी का अहम योगदान है। रूढ़िवादिता में फंसी महिलाओं को शिक्षा की ओर प्रेरित करना आसान नहीं है लेकिन विजय देवी ने हिम्मत नहीं हारी और अपने कार्य को अंजाम तक पहुंचाया।

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