आपको बता दें कि कर्नाटक में 12 मई को वोटिंग होनी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी कर्नाटक में 15 रैलियां करेंगे, वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 30 रैलियों को संबोधित करेंगे। सीएम योगी भी कर्नाटक में 20 रैलियों को संबोधित करेंगे।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी 15 से ज्यादा रैलियों को भी संबोधित कर सकते हैं। सियासी पार्टियों के पास दो हफ्ते से भी कम का समय बचा है क्योंकि कैंपेनिंग 10 मई को खत्म हो जाएगी इसलिए पार्टी स्टार कैंपेनर्स को मैदान में उतारेगी, जिससे बेहतर चुनावी माहौल तैयार किया जा सके।
कर्नाटक चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला नजर आ रहा है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पिछले हफ्ते से कर्नाटक में कैंपेनिंग कर रहे हैं। बीजेपी कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहती जिससे आने वाले चुनाव में उसे किसी भी प्रकार का नुकसान हो। सियासी विश्लेषकों का मानना है कि कर्नाटक का चुनाव आने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ी भूमिका निभायेगा।
मोदी की रैलियों से फिजा बदलने की उम्मीद
पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि 1 मई से पीएम की ताबड़तोड़ रैलियों के बाद स्थिति में ज्यादा बदलाव होगा। पीएम अपनी रैलियों में केंद्र के काम गिनाएंगे, वहीं राज्य में पांच साल में कथित तौर पर 3500 किसानों की आत्महत्या का भी मामला उठाएंगे। इसके अलावा कांग्रेस के हिंदू आतंकवाद की थ्योरी को अदालत द्वारा ठुकराने की चर्चा से भी सियासत गरमाने के आसार हैं।
लिंगायत बहुल इलाकों में संघ प्रचारकों का कैंप
संघ के करीब 30 वरिष्ठ प्रचारक एक पखवाड़े से लिंगायत बहुल इलाकों में कैंप कर रहे हैं। इनकी कोशिश लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा संबंधी कांग्रेस के सियासी दांव को विफल करना है। संघ के प्रचारक इसे हिंदुओं को बांटने की राजनीति के तौर पर प्रचारित करने के अलावा यह भी सवाल कर रहे हैं कि यदि कांग्रेस को इस समुदाय की इतनी चिंता है तो उसने इसी समुदाय का मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा क्यों नहीं की?