कांस और बर्लिन फेस्टिवल में सराही गई लेख टंडन की अंतिम फिल्म
फिल्म को रिलीज़ करने के लिए संगीतकार से निर्माता बने त्रिनेत्र बाजपेई
मुम्बई : किसी भी फिल्म की मेकिंग या उसकी रिलीज़ के पीछे फाइनेंसर का बड़ा हाथ होता है। निर्माता फिल्म तो बना लेता है लेकिन उसका सही तरह से प्रमोशन और रिलीज़ कर पाना आसान नहीं होता क्योंकि इसमें काफी पैसा खर्च होता है। बजट के अभाव में ही कई अच्छी फिल्में बॉक्स आॅफिस पर दम तोड़ देती हैं, लेकिन कारोबारी त्रिनेत्र बाजपेयी ने ठान लिया था कि स्वर्गीय लेख टंडन जी की बतौर निर्देशक अंतिम फिल्म के साथ अन्याय नहीं होगा और इसे सही प्रमोशन और रिलीज़ मिलेगी लेकिन इसके लिए जरूरी था पर्याप्त बजट का होना जिसे त्रिनेत्र बाजपेयी ने पूरा कर दिया। उन्होंने लेख टंडन की अंतिम फिल्म ‘फिर उसी मोड़ पर’ को न सिर्फ प्रोड्यूस किया बल्कि उसमें संगीत भी दिया और आज वह अपने प्रयासों से ही फिल्म को कांस और बर्लिन फिल्म फेस्टिवल तक ले गए हैं जहां फिल्म को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है।
हालांकि लेख टंडन का इंतकाल हो गया है, मगर उनकी इस फिल्म को आज फिल्म के निर्माता त्रिनेत्र, कनिका और अंशुला बाजपेई कनिका मल्टीस्कोप प्राइवेट लिमिटेड के (एम पी एल) के बैनर तले रिलीज कर रहे हैं। लेख टंडन शुरू से ही सामाजिक विषयों को लेकर फिल्म बनाने के लिए जाने जाते रहे हैं। यही वजह है कि तीन तलाक विषय की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने फिल्म ‘फिर उसी मोड़ पर’ का निर्माण बहुत पहले ही कर दिया। इस फिल्म में तीन तलाक से जुड़े उन पहलुओं को उन्होंने सामने रखा है, जिसकी मार सिर्फ मुस्लिम महिलाओं को झेलनी पड़ती है। साथ ही तीन तलाक के बाद उस महिला पर क्या बीतती है, ये भी फिल्म में बखूबी दिखाया गया है। ‘फिर उसी मोड़ पर’ पूरी तरह से क्लासिकल फिल्म है, जो समाज को इस कुप्रथा के प्रति जागरूक करेगा और नया रास्ता दिखायेगा, जिससे आज तीन तलाक पर बन रहे कानून का विरोध करने वाले लोगों को एक संदेश मिलेगा। वहीं, इस बारे में फिल्म के निर्माता और संगीतकार त्रिनेत्र मानना है कि ‘तलाक, तलाक, तलाक’ एक निंदनीय कुरीति है, जिसके अंतर्गत कोई भी पति अपनी लाचार और बेबस पत्नी को तीन तलाक कह कर प्रताड़ित करते हुए अपने जीवन से निष्कासित कर सकता है। दिवंगत लेख टंडन साहब की यह फिल्म उस कुरीति पर चोट करेगी। हालांकि ये दुखद है कि वे फिल्म रिलीज नहीं कर पाये और पिछले साल 15 अक्टूबर को दुनिया छोड़कर चले गए। यह हम सब के लिए शॉकिंग था। कारोबारी और निर्माता होते हुए भी त्रिनेत्र का संगीतकार होना हैरत में डालता है। बता दें कि उन्होंने ही फिल्म का संगीत दिया है।
बतौर संगीतकार इस फिल्म से जुड़ने के सवाल पर त्रिनेत्र कहते हैं कि लेख जी की अधिकांश फिल्मों में शंकर—जयकिशन का संगीत होता था। उन्हें आज के दौर का म्यूज़िक पसंद नहीं था। वह म्यूज़िक को क्लासिकल टच देना चाहते थे जो आज की यंग जेनरेशन दे नहीं पा रही थी। चूंकि मुझे खुद भी संगीत का शौक है और वक्त मिलने पर म्यूज़िक कंपोज़ करने लगता हूं। यह अलग बात है कि इसे मैंने प्रोपफेशन का हिस्सा नहीं बनाया क्योंकि मुझे अपनी छह पेट्रोकेमिकल फैक्ट्रीज़ को भी समय देना पड़ता है। लेख जी से मेरे पारिवारिक रिश्ते रहे हैं। इस फिल्म के संगीत के लिए उनके पास कई संगीतकार आए लेकिन लेख जी को पुराने दौर का संगीत चाहिए था। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम प्रयास करो। क्लासिकल मैं सीखा नहीं हूं लेकिन मुझे इसकी समझ है क्योंकि पुराने संगीतकारों पर किताब लिखते—लिखते संगीत के बारे में भी बहुत कुछ जान लिया था। उसी को ध्यान में रखते हुए मैंने आठ गीत तैयार किए, जो श्रोताओं को पसंद आएंगे। इन्हें गाया है मेरी पत्नी कनिका बाजपेई और जावेद अली ने। त्रिनेत्र कहते हैं कि वह आगे भी इसी तरह का संगीत तैयार करते रहेंगे।गौरतलब है कि कनिका मल्टीस्कोप प्राइवेट लिमिटेड के (एम पी एल) के अंतर्गत प्रस्तुत फिल्म ‘फिर उसी मोड़ पर’ में कंवलजीत सिंह, परमीत सेठी, एस. एम. जहीर, गोविंद नामदेव, स्मिता जयकार, कनिका बाजपेई, राजीव वर्मा, भारत कपूर, अरुण बाली, हैदर अली, विनीता मलिक, संजय बत्रा, दिव्या दिवेदी, जिविधा आस्था और शिखा इटकान मुख्य भूमिका में नजर आ रही हैं। फिल्म में एडिंटिंग जहांगीर चौधरी ने कोरियोग्राफी माधव क्रिशन / जोजो ने संपादन अवध नरायण सिंह और को-डायरेक्शन सुरेश प्रेमवती बिश्नोई ने किया है।