कासगंज हिंसा में चंदन पर गोली चलाने वाले गुनहगार ने कबूला अपना गुनाह
नई दिल्ली. कासगंज हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए सलीम जावेद ने चंदन गुप्ता पर गोली चलाए जाने की बात कबूल ली है. लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, कासगंज में 26 जनवरी को तिरंगा यात्रा के दौरान हुई हिंसा में मारे गये चंदन गुप्ता (22) की हत्या के मुख्य आरोपी सलीम ने चंदन पर गोली चलाने की बात स्वीकार भी कर ली है. सलीम के भाइयों नसीम और वसीम की तलाश की जा रही है.
इस मामले में दर्ज प्राथमिकी और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों के अनुसार सलीम ने अपने घर की बालकनी या छत से गोलियां चलाई थीं. इस घटना में चंदन की मौत के बाद उग्र भीड़ ने कम से कम तीन दुकानों, दो बसों और एक कार को आग के हवाले कर दिया था. कासगंज के पुलिस अधीक्षक पीयूष श्रीवास्तव ने बताया कि ‘कल (31 जनवरी) रात से आज (1 फरवरी) तक हिंसा की कोई नयी घटना नहीं हुई है.’
श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान में कासगंज में आरएएफ की चार कंपनियां, पीएसी की सात कंपनियां, आठ अपर पुलिस अधीक्षक, 14 क्षेत्राधिकारी, 25 थानाध्यक्ष, 100 सब इंस्पेक्टर और 500 कॉन्स्टेबल अभी भी तैनात हैं. शहर के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं. इलाके में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. चंदन की हत्या के विरोध में मैनपुरी में हिंदू जागरण मंच ने भी तिरंगा यात्रा निकाल कर प्रदर्शन किया था और घटना की कड़े शब्दों में निंदा की थी.
उन्होंने चंदन को शहीद का दर्जा देने की मांग करते हुए कहा कि ऐसा नहीं होने पर उनका संगठन आंदोलन करेगा. इस घटना के विरोध में शाहजहांपुर में निकाली जा रही ‘तिरंगा रैली’ में शामिल लोगों के बीच धन के विवाद को लेकर हुए पथराव से भगदड़ मच गयी. थाना प्रभारी रजी अहमद के अनुसार, तिलहर में बजरंग दल तथा हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता तिरंगा रैली निकाल रहे थे. इसी दौरान दो पक्षों में धन विवाद को लेकर पथराव हो गया. घटना में कई लोग घायल हुए.
पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) सुभाष चंद्र शाक्य ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कर दोनों आरोपियों बृजेश तथा गोविंद को गिरफ्तार कर लिया है. इलाके में अब पूरी तरह शांति कायम है. इस बीच, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कल उत्तर प्रदेश के कासगंज शहर में हुई साम्प्रदायिक हिंसा की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराने का आदेश देने के आग्रह को नामंजूर कर दिया.
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन ने दिलीप कुमार श्रीवास्तव तथा अन्य की याचिकाओं का निपटारा करते हुए कल यह आदेश दिये. अदालत ने राज्य सरकार को कासगंज हिंसा में मारे गये युवक चंदन को शहीद का दर्जा देने और उसके परिजन को 50 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश जारी करने से भी इनकार कर दिया.
इधर, कल राज्य सरकार ने कासगंज हिंसा पर केंद्र को रिपोर्ट भेज दी है. रिपोर्ट में इस वारदात और उसके बाद उठाये गये कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है। राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को बताया है कि पुलिस मामले की जांच कर रही है. यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कहीं यह हिंसा पूर्व-नियोजित तो नहीं थी.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां ने कासगंज में हुई साम्प्रदायिक हिंसा का जिक्र करते हुए कहा था कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मुल्क के दंगे कराने की रणनीति तैयार की गई है ताकि आम जनता की समस्याएं चुनावी मुद्दा ना बन सकें. समाजवादी पार्टी प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी ने कहा था कि कासगंज सांप्रदायिक हिंसा मामले में किसी निर्दोष को फंसाया ना जाए, यह सरकार की जिम्मेदारी है.