किसानों से एक लाख मीट्रिक टन आलू खरीदेगी योगी सरकार
लखनऊ (एजेंसी)। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आलू किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके, इसके लिए एक लाख मीट्रिक टन आलू खरीदने का निर्णय लिया है। इसके लिए जिलों में गेहूं क्रय केन्द्राsं की तर्ज पर आलू क्रय केन्द्र खोले जायेंगे। इसके अलावा सरकार ने गन्ना किसानों को बकाये का पूरा भुगतान करने के लिए समय सीमा भी तय कर दी है। वहीं राज्य सरकार ने गर्मियों के दिनों में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पेयजल की समस्या न हो इसके लिए मंत्रिमण्डल के सदस्य डा. महेन्द्र सिंह को ग्रामीण क्षेत्रों व सुरेश खन्ना को शहरी क्षेत्रों में यह सुनिश्चित करेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को राज्य मंत्रिपरिशद की दूसरी बैठक संपन्न हुई। बैठक में लिए गए निर्णयों के बावत राज्य सरकार के प्रवक्ता एवं काबीना मंत्री श्रीकांत शर्मा व सिद्धार्थनाथ सिंह ने यहां बताया कि योगी सरकार की पहली मंत्रिपरिषद की बैठक में आलू किसानों की समस्याओं के निराकरण एवं उन्हें उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए मंत्रिसमूह का गठन किया था। मंत्रिसमूह द्वारा दिए गए सुझावों पर अमल करते हुए यह निर्णय लिया गया है कि केन्द्र व राज्य की एजेन्सियां मिलकर आलू किसानें से एक लाख मीट्रिक टन आलू की खरीद की जायेगी। इसके लिए किसानों को 487 रूपए प्रति कुन्तल की दर से भुगतान किया जायेगा। प्रवक्ता ने बताया कि किसानों को कम से कम उनकी लागत का भुगतान हो जाये, इसका प्रयास किया गया है। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं कि वे तत्काल आलू खरीद केन्द्र खोलें।
इसके अलावा मंत्रिपरिषद ने गन्ना किसानों को उनके बकाये का भुगतान अविलम्ब सुनिश्चित कराने का भी निर्णय लिया है। इसके तहत गन्ना किसानों को पूर्व बकाये का भुगतान 120 दिनों में करना अनिवार्य कर दिया गया है। जबकि वर्तमान पेराई सत्र का भुगतान 14 दिन के अन्दर करना होगा। यदि भुगतान करने में कोई कोताही अथवा लापरवाही होने पर संबंधित चीनी मिलों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी की जायेगी। एक सवाल के जवाब में बताया गया कि गन्ना किसानों को पेराई सत्र 2014-15 का 99.81 प्रतिशत, 2015-16 का 99.17 तथा वर्तमान पेराई सत्र 2016-2017 का 81 प्रतिशत भुगतान किया जा चुका है। अब तक किसानों का करीब 4303 करोड़ रूपए का भुगतान अभी होना शेष है।
मंत्रिपरिषद की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि बुन्देलखण्ड में गर्मी के दिनों में पेयजल की कमी न हो। यहां तक कि पशुओं को भी पेयजल की कमी न हो। इसके लिए यह निर्णय लिया गया है कि मंत्रिमण्डल के सदस्य डा. महेन्द्र सिंह बुन्देलखण्ड में ही प्रवास करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल का संकट न हो। वहीं मंत्रिमण्डल के एक अन्य सदस्य सुरेश खन्ना को शहरी क्षेत्रों को जिम्मेदारी सौंपी गयी है।