कुंभ मेले के दौरान 8 तिथियों पर होंगे शाही स्नान, जानिए क्या है महत्व
कुंभ मेले के भव्य आयोजन में शामिल होने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लोग पहुंचेंगे। ये रही संगम नगरी प्रयागराज में मकर संक्रांति से लेकर शिवरात्रि तक चलने वाले 50 दिन के आयोजन के शाही स्नान की जानकारी।
प्रयागराज: प्रयागराज में आस्था का ऐसा जमघट लगने जा रहा है जिसे देखने के लिए न सिर्फ भारत बल्कि सात समंदर पार से सैलानी आयेंगे। रोशनी से नहाई हुई पंडालों की नगरी और घंटा-घड़ियालों के साथ गूंजते वैदिक मंत्र और धूप-दीप की सुगंध से पूरा प्रयागराज महक उठेगा। आस्था के इस महामेले में कुछ खास तिथियों पर शाही स्नान और अन्य तमाम आयोजन होंगे। भव्य पंडाल, भंडारे, धार्मिक अनुष्ठान कुंभ मेले होंगे और ऐसा धार्मिक-आध्यामिक अनुभव शायद ही कहीं मिले। प्रयागराज में कुंभ 14 जनवरी 2019 से शुरू होकर मार्च 2019 तक चलेगा। कुंभ में 8 प्रमुख स्नान तिथियां पड़ेंगी। कुम्भ की शुरुआत मकर संक्रान्ति से शुरू हो कर 4 मार्च महा शिवरात्रि तक चलेगा। अर्धकुम्भ करीब 50 दिन चलेगा और इस दौरान होने वाले 6 महत्वपूर्ण तिथियों पर होने वाले आयोजनों के बारे में आइये जानें।
मकर संक्रांति
कुंभ की शुरुआत मकर संक्रांति के दिन पहले स्नान से होगी। इसे शाही स्नान और राजयोगी स्नान के नाम से भी जानते हैं। इस दिन संगम, प्रयागराज पर विभिन्न अखाड़ों के संत की पहले शोभा यात्रा निकलते हैं फिर शाही स्नान का आयोजन होता है। मकर संक्रांति पर सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश होता है। इस दिन स्नान के बाद सूर्य को जल देकर चावल और तिल को स्पर्श कर उसे दान में दिया जाता है। इस दिन कहीं उरद दाल की खिचड़ी या दही-चूड़ा खाना जरुरी होता है।
पौष पूर्णिमा
पौष पूर्णिमा 21 जनवरी को है और इस दिन कुम्भ में दूसरा बड़ा आयोजन होगा। पौष पूर्णिमा के दिन से ही माघ महीने की शुरुआत होती है। कहा जाता है आज के दिन स्नान ध्यान के बाद दान पुण्य करेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन
से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। वहीं, इस दिन संगम पर सुबह स्नान के बाद कुंभ की अनौपचारिक शुरुआत हो जाती है। इस दिन से कल्पवास भी आरंभ हो जाता है।
पौष एकादशी
पौष एकादशी को कुम्भ में तीसरा बड़े शाही स्नान का आयोजन होगा। 31 जनवरी को स्नान के बाद दान पुण्य किया जाता है।
मौनी अमावस्या
कुंभ मेले में चौथा शाही स्नान मौनी अमावस्या यानि 4 फरवरी को होगा। इसी दिन कुंभ के पहले तीर्थाकर ऋषभ देव ने अपनी लंबी तपस्या का मौन व्रत तोड़ा था और संगम के पवित्र जल में स्नान किया था। इसलिये मौनी अमावस्या के दिन कुंभ मेले में बहुत बड़ा मेला लगता है, जिसमें लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है।
बसंत पंचमी
10 फरवरी को बसंत पंचमी यानि माघ महीने की पंचमी तिथि को मनाई जायेगी। बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु शुरू हो जाती है। कड़कड़ाती ठंड के सुस्त मौसम के बाद बसंत पंचमी से ही प्रकृति की छटा देखते ही बनती है। वहीं, हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। पवित्र नदियों के तट और तीर्थ स्थानों पर बसंत मेला भी लगता है।
माघी पूर्णिमा
19 फरवरी को छठां शाही स्नान माघी पूर्णिमा को होगा।माघ पूर्णिमा पर किए गए दान-धर्म और स्नान का विशेष महत्व होता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि माघी पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगा जल में निवास करते हैं। माघ मास स्वयं भगवान विष्णु का स्वरूप बताया गया है। पूरे महीने स्नान-दान नहीं करने की स्थिति में केवल माघी पूर्णिमा के दिन तीर्थ में स्नान किया जाए तो संपूर्ण माघ मास के स्नान का पूर्ण फल मिलता है।
माघी एकादशी
16 फरवरी को सातवां शाही स्नान माघी एकादशी को होगा। इसदिन का पुराणों में बहुत महत्व है। इस दिन दान देना कई पापों को क्षम्य बना देता है।
महाशिवरात्रि
कुंभ मेले का आखिरी शाही स्नान 4 मार्च को महा शिवरात्रि के दिन होगा। इस दिन सभी कल्पवासियों अंतिम स्नान कर अपने घरों को लौट जाते हैं। भगवान शिव और माता पार्वती के इस पावन पर्व पर कुंभ में आए सभी भक्त संगम में डुबकी जरूर लगाते हैं। मान्यता है कि इस पर्व का देवलोक में भी इंतज़ार रहता है।
1- मकर संकांति – 14 एवं 15 जनवरी 2019 सोमवार एवं मंगलवार
2- पौष पूर्णिमा- 21 जनवरी 2019 सोमवार
3- पौष एकादशी स्नान- 31 जनवरी 2019 गुरुवार
4- मौनी अमावस्या- 4 फरवरी 2019 सोमवार
5- बसंत पंचमी- 10 फरवरी 2019 रविवार
6- माघी एकादशी- 16 फरवरी 2019 शनिवार
7- माघी पूर्णिमा 19 फरवरी 2019 मंगलवार
8- महाशिवरात्रि 04 मार्च 2019 सोमवार