केजरीवाल का आरोप – चुनाव आयोग को करना चाहिए ईवीएम की जांच
नई दिल्ली। दिल्ली राज्य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पंजाब चुनाव में आखिर शिरोमणि अकाली दल के खिलाफ जनाधार बेहद कम था मगर इसके बाद भी उन्हें 30 प्रतिशत मत मिले। यह किस तरह से हो गया। अकाली दल जिसने पंजाब राज्य में नशा फैलाया। लोग इस दल से असंतुष्ट थे। लोगों में इस दल को लेकर नफरत थी जबकि आम आदमी पार्टी का जनाधार बढ़ा था इसके बाद भी आम आदमी पार्टी वोटिंग में पीछे नज़र आई।
आखिर आम आदमी पार्टी का वोट कहां गया। उन्होंने आशंका जताई कि कहीं आम आदमी पार्टी का 25 प्रतिशत वोट जो कि आम आदमी पार्टी के खाते का था वह अकाली दल के खाते में तो नहीं चला गया। शिरोमणि अकाली दल और भाजपा को तो केवल 4 से 6 प्रतिशत वोट ही मिलना था मगर इसके बाद भी इतने बड़े पैमाने पर वोट मिला। यह ईवीएम में गड़बड़ी को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि बूथ लेवल पर हमने पड़ताल की है।
जिसमें सुजानपुर के बूथ पर तो गड़बड़ी की आशंका है। आखिर लोगों का ईवीएम से विश्वास डगमगा गया है। यह तो चुनाव आयोग की बड़ी जिम्मेदारी है कि वे ईवीएम को जांचें। उन्होंने कहा कि यदि ईवीएम में गड़बड़ हो सकती है तो फिर चुनाव का मतलब ही नहीं है। उन्होंने आशंका जताई की ईवीएम में से वोट्स ट्रांसफर तो नहीं हुए। सीएम केजरीवाल ने कहा कि चुनाव आयोग को वीवीपैट की गिनती करवानी चाहिए। यह वीवीपैट एक स्लिप की तरह होता है।
दरअसल ईवीएम में वोटिंग के दौरान जब बटन दबाया जाता है तो साथ में स्लिप निकलती है। मतदाता जिस बटन को दबाता है स्लिप पर उसी पार्टी का चुनाव चिन्ह अंकित रहता है और वह मशीन में से निकलती है। उस पर्ची को देखकर दिए गए वोट का आंकलन किया जा सकता है कि वोटिंग सही हुई है या नहीं।
ऐसी स्लिप को चुनाव आयोग संभालकर रखता है। चुनाव आयोग को इन स्लिप्स की काउंटिंग करवाना चाहिए। यदि नतीजों से स्लिम मिलती है तो फिर बेहतर कार्य हुआ है लेकिन ऐसा नहीं हुआ है तो फिर प्रक्रिया का कोई अर्थ नहीं है। उन्होंने यह बताया कि एक निर्दलीय को कोई वोट ही नहीं मिला जबकि उन्होंने तो उनका स्वयं का वोट डाला था। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को चुनावी प्रक्रिया के बारे में ईवीएम के प्रयोग और हुई कथित गड़बड़ी के बारे में लिखा जाएगा।