रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव स्थल गौरीकुंड में अब केदारनाथ विकास प्राधिकरण (केडीए) की अनुमति के बिना भवनों का निर्माण संभव नहीं हो पाएगा। वर्तमान में वहां मंदाकिनी नदी से सटकर जो निर्माण हो रहे हैं, उनकी जांच के निर्देश भी डीएम मंगेश घिल्डियाल ने एसडीएम ऊखीमठ को दिए हैं।
केडीए का गठन होने के बाद गौरीकुंड कसबा भी उसका हिस्सा बन चुका है। बावजूद इसके यहां बिना अनुमति के धड़ल्ले से नए निर्माण हो रहे हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए डीएम मंगेश घिल्डियाल ने इन निर्माणों की जांच के निर्देश एसडीएम ऊखीमठ को दिए हैं।
डीएम ने कहा कि केडीए का हिस्सा बनने के बाद अब पूरे क्षेत्र में बिना प्राधिकरण की अनुमति के कोई भी निर्माण नहीं होने दिया जाएगा। साथ ही मंदाकिनी नदी किनारे हो रहे अवैध निर्माणों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि केदारनाथ आपदा में गौरीकुंड कसबे का आधा हिस्सा मंदाकिनी नदी में समा गया था। तब से पहली बार बीते यात्रा सीजन में यहां चहल-पहल नजर आई। इससे स्थानीय लोगों व व्यापारियों में भी कसबे में फिर रौनक लौटने की उम्मीद जगी है।
लेकिन, विडंबना देखिए कि व्यवस्थित होने के बजाय कसबे की सूरत फिर बदरंग होने लगी है। इससे भविष्य में खतरे की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। कस्बे में निर्माण कार्यों का जिम्मा संभाल रहे लोनिवि के सहायक अभियंता केएस नवानी ने बताया कि इस संबंध में जिला प्रशासन को अवगत करा दिया गया है।