कैमरों से रखी जाएगी बाघों पर नजर, केरवा में बढ़ागी हाथियों की संख्या
दस्तक टाइम्स/एजेंसी- मध्यप्रदेश:
भोपाल (नप्र)। तीन दिन की सर्चिंग के बाद वन अधिकारियों को लगने लगा है कि बाघ जल्दी क्षेत्र को छोड़ने वाला नहीं है। इसलिए बाघ को नियंत्रित करने के लिए वन एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों ने शनिवार को मंथन किया। जिसमें केरवा-कलियासोत में ट्रेप कैमरों से बाघों पर नजर रखने, हाथियों की संख्या बढ़ाने और जाली लगाकर क्षेत्र को कवर करने का निर्णय हुआ है।
वन्यप्राणी मुख्यालय में हुई बैठक में बाघ और अन्य जंगली जानवरों को शहरी या कस्बाई सीमा में घुसने से रोकने के लिए शॉट एवं लॉग टर्म प्लानिंग पर चर्चा हुई। अधिकारियों ने वर्तमान में की जा रही मॉनीटरिंग को संतोषजनक बताते हुए सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया। अधिकारियों ने सुरक्षा की दृष्टि से केरवा से बुलमदर फार्म तक खड़े किए गए एंगिल पर जाली जल्द लगाने को कहा। वहीं दूसरे वनमंडल से स्टाफ बुलाकर लगाने और हाथियों की मदद से बाघ को जंगल में खदेड़ने की रणनीति बनाई गई।
सूत्र बताते हैं कि बैठक में बाघ को रेस्क्यू कर सतपुड़ा या पन्ना टाइगर रिजर्व भेजने पर भी चर्चा हुई है। पूर्व पीसीसीएफ एचएस पावला ने विभाग की कार्यवाही को ठीक बताया। उन्होंने सर्चिंग बढ़ाने और फेंसिंग लंबी करने पर जोर दिया। श्री पावला ने विभाग की इस कार्यवाही को जनता के सामने ले जाने की भी सलाह दी। ताकि विभाग की किरकिरी न हो। बैठक में पीसीसीएफ नरेन्द्र कुमार, वाइल्ड लाइफ रवि श्रीवास्तव, सीसीएफ आर श्रीनिवास मूर्ति, भोपाल महेन्द्र यादुवेंदु, कलेक्टर निशांत वड़वड़े, दोनों एडीएम, डीएफओ उपस्थित थे।
रातापानी में बढ़ाएंगे ग्रास लैंड
जानवरों को रोकने की लॉग टर्म प्लानिंग में रातापानी अभयारण्य में पेयजल स्रोत बढ़ाने, ग्रास लैंड तैयार करने और बाघों के लिए पर्याप्त शाकाहारी जानवरों की व्यवस्था करने का निर्णय लिया गया है। विभाग रातापानी से केरवा को जोड़ने वाले कॉरीडोर में जाली लगाकर भी बाघों को रोकेगा।
फेंसिंग हटाने पर चर्चा
कठोतिया से कलियासोत को जोड़ने वाले जंगल में लोगों ने खेतों और निजी भूमि को तारफेंसिंग और दीवार उठाकर रोक रखा है। बैठक में इस पर भी चर्चा हुई है। अधिकारियों ने बताया कि तारफेंसिंग के कारण बाघ या अन्य जानवर पानी तक पहुंचने में भटक जाते हैं और सड़क या रिहाइशी इलाकों में निकल आते हैं। जिस पर प्रशासन को रोक लगाना चाहिए।
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