कोरोना के खिलाफ छिड़ा ‘ऑपरेशन नमस्ते’, फिर देवदूत की भूमिका में सेना
नई दिल्ली : देश पर जब-जब भी संकट आया है, सेना ने सबसे आगे आकर मोर्चा संभाला है और हर संकट से मुक्ति दिलाने में अपनी प्रभावी भूमिका निभाई है। आज जब देश के सामने कोरोना वायरस के महा-संकट से पार पाने की गंभीर चुनौती है तो आर्मी फिर से मोर्चे पर तैनात हो गई है। भारतीय सेना ने कोरोना के खिलाफ ‘ऑपरेशन नमस्ते’ छेड़ दिया है। आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने ऑपरेशन नमस्ते के बारे में बताते हुए कहा, ‘छुट्टी पर पाबंदी लगाई गई है। 2001 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान 8-10 महीने में कोई छुट्टी पर नहीं गया था। पराक्रम में भी हम विजयी निकले हैं, ऑपरेशन नमस्ते में भी कामयाब रहेंगे।’ आर्मी चीफ के मुताबिक भारतीय सेना की आंतरिक खूबी है कि हम अपने सांगठनिक ढांचे और ट्रेनिंग की बदौलत तरह-तरह की आपातकालीन परिस्थितियों से उबल जाते हैं। हम कोविड-19 से निपटने में भी अपनी इसी क्षमता का इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने कहा, ‘कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सरकार और सामान्य प्रशासन की मदद करना हमारा दायित्व है। बतौर आर्मी चीफ सैन्य बलों को चुस्त-दुरुस्त रखना मेरी जिम्मेदारी है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘देश की रक्षा के लिए हमें खुद को सेफ और फिट रखना काफी महत्वपूर्ण है। इसे ध्यान में रखते हुए हमने पिछले कुछ हफ्तों में 2-3 अडवाइजरी जारी की है।’ आर्मी चीफ ने कहा कि सेना ने पहले भी सभी अभियानों में सफलता पाई थी और ऑपरेशन नमस्ते को भी सफलतापूर्वक अंजाम देगी। सेना की ओर से देशभर में अब तक आठ क्वारेंटाइन सेंटर्स स्थापित किए जा चुके हैं। सेना की ओर से हेल्प लाइन नंबर भी जारी किया गया है। इसके लिए सेना के साउर्थन कमांड, ईस्टर्न कमांड, वेस्टर्न कमांड, सेंट्रल कमांड, नॉदर्न कमांड, साउथ वेस्टर्न कमांड और दिल्ली हेडक्वॉर्टर में कोरोना हेल्प लाइन सेंटर्स बनाए गए हैं। इसके जरिए कोरोना वायरस की चपेट में आए लोगों की मदद की जाएगी। साथ ही, आम नागरिकों को इस संकट से जुड़ी जानकारियां भी दी जाएंगी। निगरानी और आइसोलेशन की क्षमता बढ़ाई जा रही है। सभी आर्मी हॉस्पिटलों को छह घंटों की सूचना पर सिर्फ कोविड-19 मरीजों के लिए 45 बेड का आइसोलेशन वार्ड और 10 बेड का आइसीयू वॉर्ड तैयार करने का निर्देश दिया गया है। जिन इलाकों में कोरोना का असर ज्यादा है, वहां के 30 प्रतिशत फिल्ड हॉस्पिटलों को स्टैंडबाय मोड में रखा गया है। क्विक रिएक्शन मेडिकल टीमें गठित होंगी जो सूचना मिलने के छह घंटे के अंदर मरीज को अस्पतालों में पहुंचाने को तैयारी कर लेगी। दिसम्बर 2001 में संसद पर हमले में पाकिस्तान के हाथ होने के कुछ अहम सबूत मिले तो भारत ने उसके खिला ऑपरेशन पराक्रम चलाया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सेना को सीमा की ओर कूच करने का आदेश दिया था और दिसंबर 2001 से जून 2002 तक भारत और पाकिस्तान दोनों देशों की सेना धीरे-धीरे नियंत्रण रेखा (एलओसी) की ओर बढ़ती रही। इसका असर यह हुआ कि पाकिस्तानी सेना ने दबाव में आकर आतंकवादी समूहों को समर्थन देना बंद कर दिया।
आर्मी चीफ नरवणे ने इसी का उदाहरण देते हुए बताया कि तब भी सेना के जवान लंबे वक्त तक छुट्टियों पर नहीं गए थे। 16 जून 2013 को उत्तराखंड स्थित केदारनाथ मंदिर में भयंकर बाढ़ आई थी। इस प्राकृतिक आपदा में करीब छह हजार लोगों की जान चली गई थी, लाखों लोग बेघर हो गए और कई लोग अपनों से बिछड़ गए। सेना की सेंट्रल कमांड ने 19 जून को पहले ऑपरेशन गंगा प्रहार लॉन्च किया। दो दिन बाद इसका नाम बदलकर ऑपरेशन सूर्य होप कर दिया गया। ऑपरेशन सूर्य होप को सेना के सेंट्रल कमांड के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैत कमांड कर रहे थे। सेना से अलग वायुसेना ने भी अपना रेस्क्यू ऑपरेशन लॉन्च किया और इसे ऑपरेशन राहत नाम दिया गया। इस ऑपरेशन में इंडियन नेवी भी शामिल थी। अगले ही वर्ष 2014 में जम्मू-कश्मीर में आई भयावह बाढ़ के दौरान भी सेना ने अपनी क्षमता दिखाई। ऑपरेशन मेघ राहत के तहत सेना ने 2 सितंबर, 2014 से जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में उतरने लगी और 18 सितंबर आते-आते 2 लाख कश्मीरियों को बाढ़ आपदा से सुरक्षित निकाल लिया। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान ऐसे-ऐसे कारनामे कर दिखाए जिन्हें आज भी याद किया जाता है। इसी तरह के एक ऑपरेशन में सेना ने जम्मू की तवी नदी में सांसें थाम देने वाला कारनामा किया।