कोरोना संक्रमण काल में आक्सीजन की बर्बादी की रिपोर्ट देखेंगे मुख्यमंत्री, 52 अस्पतालों की गई जांच
कोरोना काल में मरीजों की जान बचाने वाली आक्सीजन की खूब बर्बादी हुई है। इससे कई ऐसे मरीजों को आक्सीजन नहीं मिल सकी, जिन्हें सख्त जरूरत थी। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण 20 से 25 फीसद आक्सीजन बर्बादी की बात आइआइटी के आडिट सिस्टम एप से पता चली है। 52 सरकारी व निजी अस्पतालों में जांच करके यह रिपोर्ट बनाई गई है। अब इसकी समीक्षा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में आक्सीजन की भारी कमी रही। अस्पताल मरीजों से भरे थे, जबकि उनकी जान बचाने के लिए आक्सीजन सिलेंडर बड़ी मुश्किल से तीमारदारों को मिल पा
सरकारी व निजी अस्पतालों में जांच के लिए आइआइटी में बनाए गए आडिट सिस्टम एप से ऑक्सीजन बर्बादी की रिपोर्ट सामने आई है। कानपुर समेत प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती मरीजों पर सर्वे करके डाटा जुटाया गया था।
रहे थे। ऐसे में शासन की पहल पर आइआइटी ने आडिट सिस्टम विकसित करके अस्पतालों का सर्वे किया, तब यह बात सामने आई कि आक्सीजन की बर्बादी हुई है। करीब डेढ़ लाख मरीजों पर किए गए सर्वे में पता चला कि आक्सीजन की खपत अस्पताल में मरीजों की जरूरत से कहीं अधिक हुई। एप के प्रोजेक्ट को लीड करने वाले आइआइटी के प्रोफेसर पद्मश्री मणींद्र अग्रवाल के नेतृत्व में यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
कानपुर के अलावा मेरठ, बरेली, मथुरा, नोएडा व लखनऊ समेत प्रदेश के अन्य शहरों के अस्पतालों से प्राप्त डाटा से यह रिपोर्ट बनाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, मरीजों को आक्सीजन देते वक्त अस्पताल प्रबंधन ने यह ध्यान ही नहीं दिया कि उन्हें कितनी आक्सीजन मिल रही है। मरीजों के खाना खाते वक्त, एक बेड से दूसरे बेड में शिफ्ट होते समय व मास्क को बार-बार हटाने के दौरान आक्सीजन बंद नहीं की गई। इससे बर्बादी होती रही। आइआइटी की टीम ने आक्सीजन की आपूर्ति के लिए अस्पतालों में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के उपकरणों, आक्सीजन की मात्रा व आक्सीजन का उपयोग करने वाले रोगियों की संख्या के बारे में जानकारी एकत्र करके रिपोर्ट तैयार की है।
अगर आक्सीजन की सप्लाई को लेकर अस्पताल अब नहीं चेते और कोरोना की तीसरी लहर आ गई तो हालात बेहद खराब हो सकते हैं। रिपोर्ट बताती है कि किसी न किसी स्तर पर लापरवाही से आक्सीजन की बर्बादी हुई है। इसे रोकने के लिए सचेत रहने की जरूरत है। -पद्मश्री मणींद्र अग्रवाल, प्रोग्राम डायरेक्टर, साइबर सिक्योरिटी सेंटर आइआइटी कानपुर।