कोरोनावायरस: अमेरिका ने भारतीयों के वीजा की वैधता बढ़ाई, H1B वीजा शामिल
नई दिल्ली: अमेरिकी राज्य विभाग ने अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के वीजा की समय सीमा बढ़ाने के भारतीय अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. इसमें H1B वीजा भी शामिल है. अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट को इसके लिए स्वीकृति दे दी गई है. COVID-19 के प्रकोप के कारण अधिकांश भारतीय अमेरिका में फंसे हुए हैं.
भारत ने अमेरिकी सरकार से कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के कारण देश में फंसे भारतीयों के लिए H1B और अन्य वीजा की वैधता बढ़ाने का अनुरोध किया था. इस मामले पर विदेश सचिव हर्षवर्धन ने बुधवार को अमेरिकी राज्य उप-सचिव स्टीफन ई. बेगुन के साथ बातचीत की. सूत्रों का कहना है कि भारत संबंधित घटनाक्रम की बारीकी से निगरानी कर रहा है.
सूत्रों का कहना है कि विदेश सचिव और अमेरिकी विदेश मंत्री के बीच वार्ता में, दोनों ने COVID-19 महामारी का मुकाबला करने और इसे नियंत्रित करने के लिए सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की. कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ बचाव और उपचार के विकास में आवश्यक दवाओं, जरूरी चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और बेहतर जानकारी साझा करने पर बातचीत की गई.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आने वाली बड़ी मंदी की आशंकाओं के साथ, H1B धारक न केवल अपनी नौकरी खो सकते हैं बल्कि वो किसी बेरोजगारी भत्ते के भी हकदार नहीं होंगे. अगर कोई नियोक्ता H1B धारक कर्मचारी का कॉन्ट्रैक्ट समाप्त कर देता है, तो कर्मचारी को अपना H1B वीजा को बनाए रखने के लिए 60 दिनों के अंदर नया रोजगार खोजना होता है. लेकिन अमेरिकी सरकार से ऐसा कोई आदेश नहीं आया है जो नियोक्ताओं को H1B वीजा धारकों की सेवाएं समाप्त करने के लिए कहे.
अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ने की आशंका के साथ ऐसी खबरें आम हैं कि H1B वीजा वाले भारतीय प्रभावित हो सकते हैं. करीब 10 मिलियन अमेरिकियों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन किया है जो बहुत ज्यादा है. साथ ही, लॉकडाउन की वजह से वीजा के नवीनीकरण में देरी हो रही है और संभावनाएं है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के साथ अनुबंध करने वाले लोग पीछे हट सकते हैं. अमेरिका में H1B वीजा धारकों का सबसे ज्यादा प्रतिशत भारतीयों के पास ही है.
आपको बता दें कि अमेरिका में नौकरी की तलाश में गए लोगों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से ऑनलाइन याचिका में भी अपील की थी कि H-1B वीजा को बढ़ाया जाए. इस याचिका पर 18 अप्रैल तक 1,00,000 दस्तखत की जरूरत थी और गुरुवार सुबह तक 50,000 लोग इसे साइन कर चुके थे.