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कोर्ट का समय बर्बाद करने की सजा, देना होगा एक लाख

court-shimla-5616a02f3ad1f_exlst (1)दस्तक टाइम्स/एजेंसी:  धर्मशाला में चल रही निर्वासित तिब्बत सरकार को बंद करवाने की मांग वाली याचिका को हाईकोर्ट ने एक लाख रुपये की कॉस्ट के साथ खारिज कर दिया है। प्रतिवादियों ने प्रार्थी की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि उनकी पत्नी ने भी ऐसी ही याचिका कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर की थी, जिसे वहां खारिज कर दिया गया है। कोर्ट ने पाया की प्रार्थी खुद तिब्बती स्कूल में अध्यापक नियुक्त था।

उसे स्कूल प्रशासन ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। यही वजह है कि प्रार्थी हिमाचल का न होते हुए भी हिमाचल की भूमि की चिंता के बहाने अपना बदला लेने के लिए कोर्ट का नाजायज इस्तेमाल कर रहा है। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए एक लाख रुपये कॉस्ट की राशि लीगल सर्विस अथॉरिटी के पास जमा करवाने के आदेश दिए।

पश्चिम बंगाल निवासी सतीश कुमार सिंह की मांग थी कि देश की अपनी सरकार के साथ-साथ किसी और देश की सरकार को चलाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर व न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने तिब्बतियों के खिलाफ विभिन्न आदेशों की मांग करने वाली इस याचिका को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने याचिका को जनहित में न पाते हुए इसे निजी बदले की भावना से प्रेरित पाया। प्रार्थी के अनुसार तिब्बतियों को स्कूलों को चलाने के लिए दी गई भूमि तिब्बती प्रशासन के नाम ट्रांसफर की जा रही है। यह भू राजस्व अधिनियम की धारा 118 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि तिब्बती स्कूलों में बच्चों का धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। तिब्बती हमारे देश में विदेशी चंदे की मदद से अपनी सरकार चला रहे हैं, जो एक देश की विदेश नीति को प्रभावित कर रही है।

 

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