क्या आप जानते है राधा ने अपने प्राण कहाँ त्यागे थे
हिन्दू धर्म में ऐसे कई रहस्य है जो बहुत कम ही व्यक्तियों को ज्ञात है. ऐसा ही एक रहस्य भगवान् कृष्ण और राधा के विषय में है. राधा कृष्ण अभिन्न है इसलिए इनका नाम एक साथ लिया जाता है राधे कृष्ण…इस नाम को जपने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते है. भगवान् श्री कृष्ण और राधा की प्रेम लीला के विषय में तो सब जानते है किन्तु क्या आप जानते है की भगवान् श्री कृष्ण के जाने के बाद राधा की मृत्यु कैसे हुई और उनकी अंतिम इच्छा क्या थी. आज हम आपको बताने जा रहे है की भगवान् श्री कृष्ण की प्रीय राधा की मृत्यु कैसे हुई.
राधा की मृत्यु का कारण
जब भगवान् कृष्ण और बलराम अपने मामा कंश के आमंत्रण पर मथुरा गए उस समय प्रथम बार राधा और कृष्ण अलग हुए. इसके पश्चात राधा और कृष्ण भगवान् की भेंट एक बार पुनः हुई जब राधा स्वयं भगवान् कृष्ण की नगरी द्वारका पहुंची. अपने सम्मुख राधा को देखकर भगवान् कृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और दोनों ही सांकेतिक भाषा में एक दूसरे से बातें करने लगे. उस समय द्वारका नगरी में राधा को कोई भी नहीं पहचानता था. राधा के निवेदन पर भगवान् श्री कृष्ण ने उन्हें अपने महल में एक देविका के पद पर नियुक्त कर दिया जिससे वह भगवान् कृष्ण के निकट रहें.
राधा का द्वारका से प्रस्थान
समय के साथ-साथ अपनी बढ़ती उम्र के कारण उन्हें भगवान् कृष्ण से दूर जाने के लिए विवश होना पड़ा. एक दिन रात्री के समय वह बिना बताये महल से दूर किसी अज्ञात स्थान पर चली गयीं. किन्तु इसकी जानकारी भगवान् कृष्ण को थी.समय बीतने के साथ राधा एकदम अकेली हो गयीं और उनके मन में भगवान् कृष्ण के दर्शन की इच्छा प्रगट हुई. उनकी इच्छा से अवगत होकर भगवान् उनके सम्मुख आ गए.
राधा की अंतिम इच्छा
भगवान् कृष्ण को अपने सम्मुख देखकर राधा बहुत प्रसन्न हुई वह समय राधा का अंतिम समय था और वह भगवान् कृष्ण के अंतिम दर्शन करना चाहती थी.भगवान् कृष्ण ने राधा की अंतिम इच्छा जानने का आग्रह किया किन्तु राधा ने मना कर दिया. भगवान् कृष्ण के आग्रह करने के बाद उन्होंने भगवान् कृष्ण से बांसुरी बजाने का निवेदन किया और भगवान् कृष्ण की बांसुरी सुनते सुनते राधा ने अपना शरीर त्याग दिया.