क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश को एकदंत क्यों कहा जाता है !
भगवान गणेश एकदंत
किसी भी मांगलिक काम की शुरूआत करने से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान है. ऐसा माना जाता है कि सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय गणेश की आराधना से भक्तों के सभी काम निर्विघ्न पूरे हो जाते हैं. भगवान शिव और माता पार्वती के लाड़ले पुत्र भगवान गणेश के वैसे तो कई नाम हैं उन्हीं नामों में से एक है एकदंत. जी हां, भक्त अपने इस आराध्य को एकदंत भी कहकर पुकारते हैं.
भगवान गणेश की प्रतिमा में भी आपने देखा होगा कि उनके एक दांत टूटे हुए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश का एक दांत आखिर कैसे टूटा और उनके एकदंत कहलाने के पीछे कौन सी पौराणिक कथा प्रचलित है. तो चलिए हम आपको बताते हैं भगवान गणेश एकदंत होने के पीछे की प्रचलित पौराणिक कथाएं.
भगवान गणेश एकदंत – कार्तिकेय जी ने तोड़ा दांत
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बचपन में गणेश बहुत शरारत किया करते थे जबकि उनके बड़े भाई कार्तिकेय काफी सरल स्वभाव के थे. प्रचलित कथा के अनुसार शरारती गणेश ने अपना बड़े भाई कार्तिकेय को अपनी शरारतों से तंग करना शुरू कर दिया. गणेश जी की शरारत देख एक दिन कार्तिकेय जी काफी क्रोधित हो गए और उन्होंने गणपति की पिटाई कर दी जिससे उनका एक दांत टूट गया और तभी से भगवान गणेश एकदंत कहलाए.
परशुराम से युद्ध के दौरान टूटा दांत
दूसरी पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार परशुराम भगवान शिव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंचे लेकिन द्वार पर खड़े गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया. परशुराम ने गणेश जी से काफी विनती की लेकिन वो नहीं माने आखिरकार परशुराम ने गणपति को युद्ध की चुनौती दी. इस चुनौती को स्वीकार करते हुए गणेश जी ने युद्ध किया लेकिन इस दौरान परशुराम के फरसे के वार से उनका एक दांत टूट गया और भगवान गणेश एकदंत कहलाये.
गणेश जी ने अपने दांत को बनाया हथियार
तीसरी पौराणिक कथा के अनुसार गजमुखासुर नाम के एक दैत्य के आतंक से सभी देवता परेशान थे. जिसके बाद उन्होंने गजानन से उस दैत्य को मारने का आग्रह किया. मान्यताओं के अनुसार गणेश ने अपना दांत तोड़कर हाथ में रखते हुए गजमुखासुर को युद्ध के लिए चुनौती दी. गजमुखासुर ने अपनी मृत्यु को निकट देखकर चूहे का रुप धारण कर लिया और इधर-उधर भागना शुरू किया. फिर उसे पकड़कर गणेशजी ने अपना वाहन बना लिया.
अपने दांत को बना लिया कलम
चौथी पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखने के क्रम में लेखक गणेश जी से शर्त रखी थी कि वो बोलना नहीं बंद करेंगे. ऐसे में गणेश जी ने अपना एक दांत खुद ही तोड़कर उसे कलम बना लिया. गौरतलब है कि भगवान गणेश एकदंत कहलाए जाने के पीछे अलग-अलग पौराणिक मान्यताएं प्रचलित है जिसकी वजह से आज भगवान गणेश को उनके भक्त प्यार से एकदंत कहकर बुलाते हैं.