पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के अलावा बाकी सभी राजनीतिक दल लगातार ईवीएम पर सवाल उठाते रहे हैं। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना विधानसभा चुनावों में भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन निशाने पर रही। कभी मशीन से छेड़छाड़ के आरोप लगे तो कभी मशीनें बदलने की शिकायतें आईं। तीनों ही राज्यों में कांग्रेस ने हर जिले के स्ट्रांग रूम के बाहर दिन-रात पहरा दिया है।
11 दिसंबर की सुबह से जो रुझान आना शुरू हुए हैं, उसे देखते हुए यह सवाल बनता है कि क्या अब भी ईवीएम की निष्पक्षता पर सवाल उठाएं जाएंगे। तीनों हिंदी भाषी राज्यों में सत्तारूढ़ दल के अलावा बाकी सभी ने इन मशीनों को सवालों के कटघरे में खड़ा किया था। यहां तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो दिल्ली विधानसभा में बकायदा एक डेमो मशीन लेकर यह भी प्रदर्शित करवाया था कि इसमें किस तरह से छेड़छाड़ संभव है।
लेकिन 11 दिसंबर को मतपत्रों की गिनती के बाद ईवीएम खुली तो तीनों राज्यों में कांग्रेस को बढ़त दिखी। तो क्या अब भी इस मशीन पर सवाल उठाए जाएंगे। यहां तक कि शीतकालीन सत्र से एक दिन पहले हुई सर्वदलीय बैठक में भी विपक्षी दलों ने भाजपा पर ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगाया था।
अभिषेक मनु सिंघवी ने एग्जिट पोल आने के बाद ईवीएम पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा था, यह भ्रम है कि हमारी ईवीएम की शिकायत जीत और हार पर निर्भर है। ये केवल प्रचारित किया जाता है कि कांग्रेस पार्टी अपनी हार-जीत से ईवीएम को सही या गलत होने का प्रमाण पत्र देती है। सभी ईवीएम खराब नहीं होती। उसका जीत हार से मतलब नहीं होता। ईवीएम की मदद से केवल यह प्रयास किया जाता है कि कुछ कोर सैंपल ईवीएम में गड़बड़ी कर किसी कोर इलाके का चुनावी नतीजा प्रभावित किया जाए। हमें सतर्क रहना है। जब मीडिया में ये खबरें आती हैं कि सड़क पर ईवीएम मिली है तो किसे चिंता नहीं होगी।
ईवीएम पर अब तक हैंकिंग और नंबरों में छेड़छाड़ के आरोप लगाए जाते रहे हैं। विपक्षी दलों ने इस संबंध में चुनाव आयोग से शिकायत भी की थी। हालांकि आयोग की चुनौती के बाद कोई भी दल अपना पक्ष रखने नहीं पहुंचा था। लगभग सभी दल मतपत्रों से चुनाव कराने की मांग करते रहे हैं।
10 दिसंबर को सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने ईवीएम की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि भाजपा ईवीएम का गलत फायदा उठा रही है। आजाद ने ये आरोप उस वक्त लगाए जब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इससे पहले गुजरात और कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान भी कांग्रेस ने ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी होने की आशंका को जोरशोर से उठाया था।
सिंधिया ने उठाए थे सवाल
मध्य प्रदेश चुनावों के दौरान खुद कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ईवीएम मशीनों में खराबी को लेकर चुनाव आयोग को पत्र लिखा था। उन्होंने आशंका जताई थी कि थी कि बड़े पैमाने पर खराब हो रही ईवीएम मशीनें किसी साजिश की तरफ इशारा कर रही हैं। वहीं कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने भी मध्य प्रदेश में स्ट्रांग रूम में रखी ईवीएम मशीनों से छेड़छाड़ होने की आशंका जताई थी। उन्होंने आयोग से शिकायत के बाद कहा था कि इंदौर समेत कुछ जगहों पर जहां ईवीएम रखे गए हैं, वहां वाईफाई चल रहा है। जिससे मतगणना की निष्पक्षता पर गंभीर संदेह खड़ा होता है।
वहीं कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी विवेक तनखा का समर्थन करते हुए कहा था कि क्या चुनाव आयोग स्पष्ट करेगा?
इससे पहले कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनावों में वोटिंग ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर से कराए जाने की मांग की थी, जिसे लेकर कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में मतपत्रों के इस्तेमाल का अनुरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग से अपील करते हुए कहा था कि आगामी 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में ईवीएम की बजाय मतपत्र से कराए जाएं।