‘क्रांतिकारियों के लिये वरदान है शहादत
लखनऊ: महान क्रांतिकारी शिवराम राजगुरु की 107वीं जयंती आज पूरे उत्तर प्रदेश में मनायी गई। इस अवसर पर लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, बरेली, बस्ती, जौनपुर में इन्हे श्रद्धांजलि दी गई। राजगुरु का जन्म महाराष्ट्र के पुणे के खेडा गांव में 24 अगस्त 1908 को हुआ था। देश की आजादी की लड़ाई में ये शहीदे आजम भगत व सुखदेव के साथ मिलकर काम करते थे। अंग्रेजों ने तीनों महान क्रांतिकारियों को फांसी की सजा सुनाई थी। क्रांतिकारी राजगुरु ने कहा था कि ‘अपनी जिन्दगी देकर देश के करोड़ों नर-नारियों को स्वतन्त्रता का एहसास करा सके तो बाकी काम तो वे स्वयं पूरा कर लेंगे।’
उन्होंने कहा था कि ऐसी हसीन मौत पर पछताने वाला मूर्ख ही कहा जाएगा। क्रांतिकारियों के लिए शहादत तो वरदान है। तीनों क्रांतिकारियों शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी। जौनपुर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सरावां गांव में स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर आज हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी व लक्ष्मीबाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने महान क्रांतिकारी शिवराम राजगुरु का 107वां जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक पर मोमबत्ती व अगरबत्ती जलाया और दो मिनट का मौन रखकर महान क्रांतिकारी राजगुरु को अपनी श्रद्धांजलि दी।