पिछले पांच साल से खंडूड़ी द्वारा बनाई गई नियमावली को रद्द करने की कसरत हो रही थी, मंत्री ने तो फाइल पर बहुत पहले ही अनुमोदन दे दिया था, शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने भी नियमावली निरस्त करने की मंजूरी फाइल पर दे दी। हालात यह है कि सैनिक बहुल प्रदेश में सैनिक कल्याण निदेशक का पद पिछले पांच साल से रिक्त चल रहा है।
2008 में तत्कालीन सीएम और सैनिक कल्याण मंत्री बीसी खंडूड़ी ने यह विस्तृत नियमावली इसलिए बनाई थी, ताकि पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए व्यापक तजुर्बे वाला कोई अफसर इस पद पर नियुक्त हो सके। अब निदेशक की नियुक्ति केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार होगी।
2008 में बनी सैनिक कल्याण निदेशक की नियुक्ति नियमावली को लेकर इनसाइडर-आउटसाइडर का मुद्दा भी था। असल बात यह थी कि जितनी शर्तें 2008 की नियमावली में थी, उसमें अपने राज्य से कोई पूर्व अफसर फिट नहीं बैठ रहा था।
तब और अब में कितना आया फर्क
:-पुरानी व्यवस्था में इस पद पर केवल सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर ही नियुक्त हो सकता था, लेकिन अब कर्नल भी नियुक्त हो सकेगा
:-पहले सैन्य सेवाओं में महत्वपूर्ण योगदान जैसे यूएन में पोस्टिंग, बहादुरी पुरस्कार प्राप्त, डिफेंस कॉलेज से कोर्स आदि योग्यता के अलग से अंक मिलते थे, नई व्यवस्था में इन्हें खत्म कर दिया गया।
मंत्री का है कहना
हमने पुरानी नियमावली को खत्म कर केंद्र सरकार की गाइडलाइन को लागू किया है। पुरानी नियमावली में अंक अतिरिक्त तौर पर निर्धारित अंक हटा दिये गए हैं, क्योंकि अतिरिक्त योग्यता के बजाय व्यवहारिक तौर पर समझ होना जरूरी है। इसलिए यदि ब्रिगेडियर उपलब्ध नहीं है तो सेवानिवृत्त कर्नल को निदेशक बनाया जा सकता है।
-हरक सिंह रावत, सैनिक कल्याण मंत्री