खुद का ट्रांसपोर्ट बिजनेस, फिर भी ट्रांसपोर्ट मामलों में दखल देते हैं बादल?
दस्तक टाइम्स/ एजेंसी
चंडीगढ़ः पंजाब में खुद का ट्रांसपोर्ट बिजनेस होने के चलते मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के मामलों में दखल नहीं देनी चाहिए। हाईकोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका में यह मांग की गई है। इस मामले में वीरवार को हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व उनकी ट्रांसपोर्ट कंपनियों को नोटिस जारी किया है। एक जनहित याचिका पर पंजाब सरकार के चीफ सैक्रेटरी, प्रिंसीपल सैके्रटरी ट्रांसपोर्ट, ऑॢबट एविएशन प्रा. लि., डबवाली ट्रांसपोर्ट कंपनी और अन्य प्रतिवादियों को भी नोटिस जारी कर 10 दिसम्बर तक जवाब मांगा है।
एडवोकेट एच.सी. अरोड़ा ने याचिका में बताया कि बादल परिवार प्राइवेट बसों का बिजनैस करता है। ट्रांसपोर्ट पॉलिसी संबंधी फैसले भी वही सरकार करती है, जिसके मुखिया प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल हैं। सुखबीर की पत्नी हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय मंत्री हैं। याचिका में अपील की गई कि ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाने वाले बादल परिवार को स्टेट ट्रांसपोर्ट की किसी भी मीटिंग में भाग नहीं लेना चाहिए और न ही ट्रांसपोर्ट पॉलिसी में हस्तक्षेप करना चाहिए। बी.सी.सी.आई. के एस. श्रीनिवासन को भी आई.पी.एल. में चेन्नई टीम की खरीद के चलते दोनों में से एक विकल्प चुनने को कहा गया था। याचिका के अनुसार कैग ने माना था कि पी.आर.टी.सी., पंजाब रोडवेज और पनबस कंपनी को नैशनल व स्टेट हाईवे के रूट परमिट नहीं दिए गए, जबकि प्राइवेट ट्रांसपोर्ट कंपनियों को जरूरत से ज्यादा परमिट दिए गए। प्राइवेट कंपनियों ने अवैध ढंग से बसें चलाईं। रोडवेज की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। कैग रिपोर्ट के अनुसार सार्वजनिक परिवहन की बसों के किराए भी सरकार तय करती है। उन्होंने यह काम स्वतंत्र नियामक को सौंपने की मांग उठाई।