पिछले महीने जहां डीआरडीओ का एक कर्मचारी जासूसी के आरोपों में पकड़ा गया था, वहीं मेरठ के एक जवान को लेकर भी ऐसा ही मामला सामने आया था. अब बीएसएफ के जवान पर आईएसआई के लिए जासूसी करने का आरोप लगा है. पंजाब के फिरोजपुर के ममदोट पुलिस स्टेशन में बीएसएफ के 29वीं बटालियन में बतौर ऑपरेटर काम कर रहे जवान शेख रियाजउद्दीन के खिलाफ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने का मामला दर्ज किया गया है. उसके पास से दो मोबाइल फोन और 7 सिम कार्ड बरामद किए हैं.
शेख रियाजुद्दीन के खिलाफ ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट 1923 और नेशनल सिक्योरिटी एक्ट 1980 के तहत यह मामला दर्ज किया गया है. रियाजुद्दीन मूलत: महाराष्ट्र के लातूर का रहने वाला है और बीएसएफ के 29वीं बटालियन में बतौर ऑपरेटर काम कर रहा था.
BSF के डिप्टी कमांडेंट की लिखित शिकायत मिलने के बाद आरोपी जवान शेख रियाजुद्दीन को गिरफ्तार कर लिया गया. शिकायत में बताया गया है कि आरोपी जवान ने सरहद की तारबंदी, सड़कों के वीडियो और बीएसएफ यूनिट के अधिकारियों के मोबाइल नंबर पाकिस्तान में बैठे अपने हैंडलर के साथ साझा किए हैं
रियाजुद्दीन फेसबुक, फेसबुक मैसेंजर और मोबाइल के जरिए यह सूचनाएं पाकिस्तान इंटेलिजेंस के एक ऑपरेटिव मिर्जा फैसल के साथ साझा करता था. गिरफ्तार किए गए बीएसएफ जवान को रविवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा और उसके बाद रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी.
इससे पहले पिछले महीने ही उत्तर प्रदेश के मेरठ छावनी में सेना की नौकरी करने वाले जवान को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था. सैनिक मेरठ छावनी में बतौर सिग्नलमैन तैनात था.
मेरठ छावनी के सैनिक पर आरोप लगा था कि उसने पाकिस्तान की आईएसआई को पश्चिमी कमान बेस के तहत आने वाली डिविजन से जुड़ी तमाम जानकारियां साझा की. सैनिक पिछले 10 महीने से पाकिस्तानी लोगों से संपर्क में था. पाकिस्तान के नंबरों पर लगातार बात करने से इस पर शक पैदा हुआ था.
वहीं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के इंजीनियर निशांत अग्रवाल को पाकिस्तान को सीक्रेट जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन पर ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट की जानकारी लीक करने का आरोप लगा था.
निशांत नागपुर में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) में 4 साल से काम कर रहा था. उसके पास भारत की अति महत्वपूर्ण ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल से जुड़ी सीक्रेट जानकारियों की पहुंच थी.
निशांत अग्रवाल पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को जानकारी देने का आरोपलगा था. उस पर ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था.
जांच में पता चला था कि फेसबुक पर निशांत से बात करने के दौरान उसे एक फेक आईडी से अमेरिका स्थित रिक्रूटमेंट एजेंसी का हवाला दिया गया. इसके बाद वह अच्छी नौकरी के झांसे में आ गया. निशांत अग्रवाल का बायोडाटा भी मांगा गया गया था. इसी बीच एक लिंक के जरिए उसके कंप्यूटर पर स्पाइवेयर भेजा गया जिससे कि निशांत के लैपटॉप को पूरी तरह हैक किया जा सके.