खुशखबरी: RBI ने जताया भरोसा, मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में इकोनॉमी तेजी से आगे बढ़ेगी
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2017-18 में मजबूत प्रदर्शन किया और चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि और तेज होने की उम्मीद है. पटेल ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्त समिति की बैठक में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को विनिर्माण क्षेत्र में तेजी, बिक्री में वृद्धि, सेवा क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन और कृषि फसल के रिकॉर्ड स्तर पर रहने से मजबूती मिली. उन्होंने कहा कि हालांकि वर्ष 2017-18 में वास्तविक जीडीपी की वृद्धि एक साल पहले के 7.1 प्रतिशत से कुछ कम होकर 6.6 प्रतिशत पर आ गई. निवेश की मांग बढ़ने से दूसरी छमाही में रफ्तार में मजबूती लौट आई.
निवेश गतिविधियों में सुधार बना रहेगा
आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि इंडियन इकोनॉमी ने 2017-18 में मजबूत प्रदर्शन किया. विनिर्माण क्षेत्र में तेजी, बिक्री में वृद्धि, क्षमता उपयोग में बढ़ोतरी, सर्विस सेक्टर की मजबूत गतिविधियां और रिकॉर्ड फसल ने प्रदर्शन में अहम योगदान दिया. उन्होंने कहा, ‘कई फैक्टर 2018-19 में वृद्धि दर में तेजी लाने में मददगार होंगे. साफ संकेत है कि अब निवेश गतिविधियों में सुधार बना रहेगा.’ पटेल ने कहा कि वैश्विक मांग में सुधार हुआ है, ऐसे में निर्यात और नए निवेश को बढ़ावा मिलेगा. ऐसे में फाइनेंशियल ईयर 2018-19 में जीडीपी ग्रोथ 7.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.
राजकोषीय मोर्चे पर सूझबूझ से चलने को प्रतिबद्ध
पटेल ने कहा कि नवंबर 2016 से उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति सामान्य तौर पर 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि के लक्ष्य से नीचे ही रही. हालांकि सब्जियों की कीमतों में अचानक तेजी से दिसंबर में मुद्रास्फीति चढ़कर 5.2 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो कि गिरकर मार्च 4.3 प्रतिशत पर आ गई है. भरोसा दिलाते हुए कहा कि सरकार राजकोषीय मोर्चे पर सूझबूझ से चलने को प्रतिबद्ध है, पटेल ने कहा कि कर राजस्व में तेजी और सब्सिडी को युक्तिसंगत होने से सरकार सकल राजकोषीय घाटे (जीएफडी) को कम करके 2017-18 में जीडीपी के 3.5 प्रतिशत पर ले आई है.
उन्हांने कहा इसके लिए सार्वजनिक निवेश जरूरतों और सामाजिक क्षेत्र में व्यय के साथ कोई समझौता नहीं किया गया. 2018-19 में सकल राजकोषीय घाटा को जीडीपी के 3.3 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है. पटेल ने कहा कि निर्यात के मुकाबले आयात में वृद्धि से चालू खाता घाटा ( कैड ) 2016-17 में 0.7 प्रतिशत से बढ़कर 2017-18 के पहले नौ महीने में 1.9 प्रतिशत हो गया.