बक्सरः कुछ दिनों पहले बक्सर के चौसा सहित अन्य घाटों पर गंगा से कई शव मिले थे. अब इन दिनों गंगा में पानी के रंगों को देखकर यह चर्चा जोरों पर है कि इसमें भी संक्रमण फैल गया है. हालांकि शुरुआत में ही यह बात सामने आने के बाद पानी के सैंपल को जांच के लिए भेजा जा चुका है जिसकी रिपोर्ट आनी है. इस संबंध में स्थानीय मंदिर के एक पुजारी अमरनाथ पांडेय ने बताया कि लोग अब श्रद्धा से सिर्फ जल छिड़क ले रहे हैं. उन्हें संक्रमंण का डर सता रहा है. चौसा के रहने वाले राकेश सिंह ने बताया कि वे पिछले 22 वर्षों से गंगा नदी को देख रहे हैं लेकिन इस तरह गंगा का पानी ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था.
दरअसल, यूपी की ओर से जब कई लाशें आईं थीं तो इसी बीच लखनऊ के सीवेज वाटर में कोरोना वायरस पाए जाने के बाद यह स्पष्ट हुआ कि पानी में भी वायरस रह सकता है और अनंत काल तक जिंदा रह सकता है. इसी बात को ध्यान में रखकर शुद्धता की जांच के लिए बिहार राज्य प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों ने पानी के नमूने का करीब दस दिन पहले संग्रह किया था.
बक्सर के विभिन्न गंगा घाटों के साथ-साथ भोजपुर और पटना से भी नमूना लिया गया. इसके बाद इन सारे गंगा के पानी के सैंपल को लखनऊ स्थित प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया है. इससे यह पता लगाया जाएगा कि कोरोनाकाल में हुई मौतों के बाद यदि किसी व्यक्ति का शव गंगा में बहाया गया है तो क्या उससे पानी दूषित हुआ है, या पानी दूषित होने का कोई और भी कारण है.
बता दें कि पिछले दिनों बड़ी संख्या में लोगों ने गंगा नदी में शवों को प्रवाह किया था. इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने शवों को निकालकर दफनाया था. इस दौरान काफी हो-हल्ला होने के बाद अब शवों को गंगा में प्रवाह नहीं करने को लेकर सख्त हिदायत दी गई.