दिल्लीस्वास्थ्य

गंगाजल पर होगी स्टडी: करोड़ों लोग लगाते हैं डुबकी फिर भी क्यों नहीं होते बीमार

केंद्र सरकार की ओर से गंगा नदी के जल के औषधीय गुणों को पता लगाने के लिए करवाई जा रही स्टडी पूरी हो चुकी है। अब आगे गंगा जल के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के लिए स्टडी की जाएगी। इसके लिए 4.96 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। सरकार जानना चाहती है कि आखिर हर साल धार्मिक अवसरों पर करोड़ों लोगों के डुबकी लगाने के बावजूद इस नदी से कोई बीमारी या महामारी क्यों नहीं फैलती है। गंगाजल पर होगी स्टडी: करोड़ों लोग लगाते हैं डुबकी, क्यों नहीं होते बीमार?

 
 विशेषज्ञों के अनुसार गंगा जल में बैक्टिरियोफेज पाए जाते हैं जो इसे सड़न से बचाते हैं। ऐसे में इनके संरक्षण की जरूरत है। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘राष्ट्रीय पर्यावरण इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट (NEERI) ने औषधीय गुणों का पता लगाने वाली स्टडी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है। अधिकारी के अनुसार ‘गंगा नदी में औषधीय गुण हैं जिसके कारण इसे ‘ब्रह्म द्रव्य’ कहा जाता है। यह गुण गंगा को दूसरी नदियों से अलग करता है। यह कोई पौराणिक मान्यता का विषय नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार है। इस बारे में NEERI ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।’ 

इसलिए है विशेष गुण 
जानकारों के अनुसार, हिमालय का क्षेत्र औषधीय पौधों से भरा है जो बर्फ में दब जाते हैं। बर्फ पिघलने के बाद ये औषधियां पानी के साथ गंगा नदी में मिल जाती हैं। इस अध्ययन में यह पता लगाने का प्रयास भी किया गया कि गंगा नदी के जल में औषधीय गुण मौजूद हैं या धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं। 

3 मौसमों के अध्ययन के बाद NEERI ने दी रिपोर्ट 

50 से अधिक स्थलों पर शीतकालीन, पूर्व मॉनसून और उत्तर मॉनसून मौसम में गंगा के नमूनों का किया गया परीक्षणविदेशियों को है यकीन, 2018 तक गंगा हो जाएगी साफविशेषज्ञों के अनुसार गंगा जल में बैक्टिरियोफेज पाए जाते हैं जो इसे सड़न से बचाते हैं। ऐसे में इनके संरक्षण की जरूरत है। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘राष्ट्रीय पर्यावरण इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट (NEERI) ने औषधीय गुणों का पता लगाने वाली स्टडी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है। अधिकारी के अनुसार ‘गंगा नदी में औषधीय गुण हैं जिसके कारण इसे ‘ब्रह्म द्रव्य’ कहा जाता है। यह गुण गंगा को दूसरी नदियों से अलग करता है। यह कोई पौराणिक मान्यता का विषय नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार है। इस बारे में NEERI ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।’ 

 
 

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