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गजब का स्कूल: कपूरथला स्कूल में एक टीचर और एक स्टूडेंट

one-teacher-one-student-in-kapurthala-school_1462452131पंजाब में एक स्कूल ऐसा है, जहां केवल एक ही बच्चा पढ़ता है और एक ही शिक्षक है। यानि एक बच्चे की पढ़ाई पर 50 हजार प्रति माह खर्च हो रहा है। ये हाल है कपूरथला जिले के गांव भलाईपुर में चल रहे एलीमेंटरी स्कूल का। स्कूल में केवल एक अध्यापक है। स्कूल में पढ़ने के लिए भी केवल एक बच्चा आता है। एक बच्चे को शिक्षा देने के लिए सरकार को 50 हजार रुपये का खर्च करना पड़ रहा है।

जिस दिन बच्चा स्कूल न आए तो शिक्षक को बेंचों के आगे बैठकर पूरा समय गुजारना पड़ता है। स्कूल में पिछले सात साल से विद्यार्थियों का आंकड़ा सात से गिरकर एक बच्चे तक आ गया है। सरकार हर माह शिक्षक का वेतन 40 हजार रुपये, मिड-डे-मील कुक के 1200 और सफाई व्यवस्था पर 2000 रुपये का खर्च उठा रही है।

अब डीसी जसकिरण सिंह के आदेश पर डीईओ एलीमेंटरी गुरचरण सिंह मुल्तानी ने क्लर्क हरबंस सिंह के साथ स्कूल का दौरा किया और ग्राम पंचायत से स्कूल के संचालन के बारे में बातचीत की। पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर दिया है। एक-दो दिन में स्कूल बंद कर दिया जाएगा।
पांचवीं का जगदीप इकलौता छात्र
30-35 घरों वाले इस गांव के अधिकतर बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। सरकारी एलीमेंटरी स्कूल में इस सेशन में पांचवीं कक्षा का विद्यार्थी जगदीप सिंह ही पढ़ने आता है। उसे पढ़ाने के लिए पिछले दो साल से डेपुटेशन पर शिक्षक कमलजीत सिंह आ रहे हैं। कई बार स्कूल में बच्चों की कमी के बारे में शिक्षा विभाग को अवगत करवाया जा चुका है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

पिछले चार साल से स्कूल में कोई नया एडमिशन नहीं हुआ है। सात साल पहले यहां पर सात बच्चे थे, उसके बाद से बच्चों की संख्या गिरती गई। 2014-15 में पांचवीं कक्षा में तीन विद्यार्थी थे, जो पिछले दो सेशन से आ रहे थे। स्कूल के कमरे गेहूं, चावल और मिड-डे-मील से संबंधित अन्य सामान से भरे हुए हैं। एक कमरे में छह खाली बैंच और तीन कुर्सियां रखी हैं। स्कूल का बिजली कनेक्शन बिल न भरे जाने के कारण छह-सात माह से कटा हुआ है और कुंडी लगाकर बिजली की व्यवस्था की हुई है।
बच्चों को मुफ्त शिक्षा दिलाने में ग्रामीणों की दिलचस्पी नहीं
शिक्षक कमलजीत सिंह ने कहा कि सरपंच को साथ लेकर उन्होंने घर-घर जाकर अभिभावकों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजने की अपील भी की थी। लोगों को बताया कि वे प्राइवेट स्कूलों की पढ़ाई पर पचास हजार रुपये सालाना खर्च कर रहे हैं, जबकि सरकारी स्कूल में शिक्षा मुफ्त है। इस पर भी अभिभावक सहमत नहीं हुए।

उन्होंने बताया कि जिला शिक्षा विभाग स्कूल को नजदीकी मिडल स्कूल में मर्ज करने की तरफ गंभीर नहीं दिखे, उन्हें कई बार इस बारे में पत्र लिखे जा चुके हैं। गांव के लोग चार किलोमीटर दूर निजी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज रहे हैं, लेकिन सरकारी प्राइमरी स्कूल में भेजने को राजी नहीं हैं।

ग्रामीणों की सहमति : बंद कर दिया जाए स्कूल
वीरवार को डीईओ एलीमेंटरी गुरचरण सिंह ने मुल्तानी कार्यालय के क्लर्क हरबंस सिंह के साथ स्कूल का दौरा किया। डीईओ एलीमेंटरी ने बताया कि उन्होंने टीचर कमलजीत सिंह से बात की। इसके बाद सरपंच दलजीत कौर और पंचायत सदस्य दविंदर सिंह से स्कूल के संचालन के बारे में विचार किया।

गांव के बच्चों के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने की वजह से पंचायत ने स्कूल को बंद करके बच्चों और शिक्षकों को दूसरे स्कूल में मर्ज करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। बच्चे को नजदीकी स्कूल में भेजा जाएगा और शिक्षक को उस स्कूल में शिफ्ट किया जाएगा, जहां बच्चों की संख्या ज्यादा होगी। इसके अलावा शिक्षक को स्कूल के पूरे सामान की लिस्ट और रिकार्ड संभाल कर रखने की भी हिदायत की गई है। पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर दिया है। एक-दो दिन में स्कूल बंद कर दिया जाएगा।

 
 
 

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