गणपति जी के प्रसिद्ध मंदिर, जहां दर्शन करते ही खत्म हो जाती हैं सारी परेशानियां..
इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 2 सितंबर को मनाया जाएगा। लोगों में इस त्योहार का उत्साह अभी से नजर आने लगा है। इस दिन को गणेश जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में आज आपको बप्पा के विश्व प्रसिद्ध पांच मंदिर के बारे में बताएंगे जहां जाने से भगवान आपकी सारी परेशानियां दूर कर देते हैं।
श्री सिद्धिविनायक मंदिर
गणपति के प्रसिद्द मंदिरों में इस मंदिर का नाम सबसे पहले आता है। यह मंदिर मुंबई में स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर को एक निसंतान महिला ने बनवाया था। इस मंदिर में माथा टेकने बड़े-बड़े बॉलीवुड सेलिब्रिटी आते हैं।
श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर
गणपति बप्पा का यह मंदिर पुणे में बना हुआ है। श्री सिद्धिविनायक मंदिर के बाद भक्तों की आस्था इस मंदिर में बहुत है। इस मंदिर के ट्रस्ट को देश के सबसे अमीर ट्रस्ट का खिताब हासिल है। कहा जाता है कि कई साल पहले श्रीमंत दगडूशेठ और उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई ने अपना इकलौता बेटा प्लेग में खो दिया था। जिसके बाद दोनों ने इस गणेश मूर्ति की स्थापना यहां करवाई थी। जिसके बाद अब हर साल ना केवल श्री दगडूशेठ का परिवार बल्कि आसपास के सभी लोग बडे जोश के साथ यहां गणेशोत्सव मनाते हैं।
कनिपकम विनायक मंदिर चित्तूर
विघ्नहर्ता गणपति का यह मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर में है। माना जाता है कि यहां मौजूद गणपति अपने भक्तों के सारे पाप हर लेते हैं।विनायक के इस मंदिर की खासियत यह है कि ये विशाल मंदिर नदी के बीचों बीच बना हुआ है। इस मंदिर की स्थापना 11वीं सदी में चोल राजा कुलोतुंग चोल प्रथम ने की थी।जिसका विस्तार बाद में 1336 में विजयनगर साम्राज्य में किया गया।
मनकुला विनायक मंदिर, पुडुचेरी
मंदिर का इतिहास पुडुचेरी में फ्रेंच लोगों के आने के साल 1666 से भी पहले का है। शास्त्रों में गणेश के कुल 16 रूपों की चर्चा की गई है। इनमें पुडुचेरी के गणपति जिनका मुख सागर की तरफ है उन्हें भुवनेश्वर गणपति कहा गया है।तमिल में मनल का मतलब बालू और कुलन का मतलब सरोवर से है। किसी जमाने में यहां गणेश मूर्ति के आसपास बालू ही बालू था। इसलिए लोग इन्हें मनकुला विनयागर पुकारने लगे।
मधुर महागणपति मंदिर, केरल
मधुर महागणपति मंदिर का मंदिर केरल में है। कहा जाता है कि शुरुआत में ये भगवान शिव का मंदिर था लेकिन पुजारी के छोटे से बेटे ने मंदिर की दीवार पर भगवान गणेश की प्रतिमा का निर्माण किया। कहते हैं मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर बनाई हुई बच्चे की प्रतिमा धीरे-धीरे अपना आकार बढ़ाने लगी। वो हर दिन बड़ी और मोटी होती गई। उस समय से ये मंदिर भगवान गणेश का बेहद खास मंदिर हो गया।