गबन की गयी धनराशि वापस
लखनऊ : सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत मुजफ्फरनगर निवासी रचित गोयल ने जिला सहायक निबन्धक, सहकारी समितियां, मुजफ्फरनगर को आवेदन-पत्र देकर जानकारी मांगी थी कि ऋण माफी एवं ऋण राहत योजना के
अन्तर्गत कितने लोगों के ऋण माफ किये गये हैं, जो अपात्र थे उनके नाम भी योजना में सम्मिलित कर धनराशि का हेराफेरी करने के आरोप में कितने लोगों के खिलाफ कार्यवाही की गयी है, तथा कुल कितनी धनराशि आंकी गयी है, आदि से सम्बन्धित बिन्दुओं की प्रमाणित छायाप्रतियों की जानकारी मांगी थी, मगर विभाग द्वारा वादी को कोई जानकारी नहीं दी गयी। जानकारी प्राप्त न होने पर वादी ने अधिनियम के तहत राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल कर जानकारी चाही है। राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने जिला सहायक निबन्धक, सहकारी समितियां, मुजफ्फरनगर को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत नोटिस जारी कर आदेशित किया कि वादी द्वारा उठाये गये बिन्दुओं की सभी सूचनाएं अगले 30 दिन के अन्दर अनिवार्य रूप से वादी को उपलब्ध कराते हुए आयोग को अवगत कराये, अन्यथा जनसूचना अधिकारी स्पष्टीकरण देंगे कि वादी को सूचना क्यों नहीं दी गयी है, क्यों न उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाये। जिला सहायक निबन्धक, सहकारी समितियां, मुजफ्फरनगर से राजकुमार उपस्थित हुए, उनके द्वारा बताया गया है कि ऋण माफी एवं ऋण राहत योजना के अन्तर्गत अपात्र सदस्यों की ऋण माफी/ऋण राहत योजना के अन्तर्गत ऐसे सदस्य जिन पर ऋण लगा नहीं था, उन्हें भी सूची में सम्मिलित कर, ऐसे सदस्य जिनके ऋण माफी योजना में दी अवधि के बाद ऋण वितरण किया गया, उनके नाम सम्मिलित किये गये। ऐसे सदस्य जिनका उपभोग ऋण होने पर ऋण माफी सूची में सम्मिलित करते हुए 36 अपात्र सदस्यों के नाम योजना सूची में सम्मिलित करते हुए, अंकन 11,57,265 (ग्यारह लाख, सत्तावन हजार, दो सौ पैंसठ) रुपये अनियमित रूप से ऋण माफी एवं ऋण राहत की गयी। पुनः सत्यापन के फलस्वरूप उपरोक्त अपात्र सदस्यों के नाम से प्राप्त धनराशि अंकन 11,57,265 रुपये को मूल अभिलेख न होने से जिला सहकारी बैंक से भारत सरकार/नाबार्ड को वापस कर दिया गया। इस प्रकार नरेन्द्र कुमार तत्कालीन सचिव द्वारा अपने निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए 36 अपात्र व्यक्तियों (सदस्यों) के नाम ऋण माफी एवं ऋण राहत सूची में सम्मिलित किये गये, एवं समिति के उपरोक्त महत्वपूर्ण अभिलेख समिति सचिव को चार्ज में न देकर गायब करा दिये गये, समिति के सचिव के साथ अन्य कर्मचारी सुभाष (पूर्व आंकिक), भोपाल सिंह आंकिक एवं सहयोगी चरण सिंह के हस्त लिखित सूची भी योजना में सम्मिलित है, सत्यापन अधिकारी वीके श्रीवास्तव, जेबीएम तथा उपरोक्त प्रकरण में समिति सचिव के साथ-साथ समिति कर्मचारी भी उत्तरदायी हैं। जिला सहकारी बैंक शाखा बिरालसी में रखे सदस्य खातों में थे, इस प्रकार अपरलेखन के लिए तत्कालीन शाखा प्रबन्धक श्री रामवीर सिंह तथा पटल प्रभारी रविन्द्र गौड़ भी उत्तरदायी है। इस प्रकार सम्बन्धित योजना में हेराफेरी करने पर उपरोक्त के खिलाफ धारा 409, 420, 471 के तहत मुकदमा पंजीकृत करा दिया गया है।