प्रयागराज : आस्था के मानक गुरु पूर्णिमा पर्व पर लोगों ने संगम घाट पर आस्था की डुबकी लगाई और परिवार वालों के दुआएं मांगी हैं, हालांकि कोरोना प्रकोप की वजह से घाटों पर भीड़ नहीं हैं,आपको बता दें कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ‘गुरु पूर्णिमा’ कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा की जाती है, आज से चार महीने साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ज्ञान और योग की शक्ति ये चार महीने मौसम के हिसाब से भी सर्वश्रेष्ठ हैं, इस मौसम में ना तो ज्यादा गर्मी पड़ती है और न ही अधिक सर्दी इसलिए अध्ययन के लिहाज से ये सबसे अच्छे महीने हैं, इस दौरान ध्यान भी लगता है और इंसान शारीरिक और मानसिक तौर पर खुद को मजबूत भी महसूस करता है। चारों ओर बारिश होती है, जिससे धरती की तपन कम होती है और बारिश की शीतलता की शक्ति से फसल पैदा करती है, ठीक उसी तरह से गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान और योग की शक्ति मिलती है। ‘गु’ का अर्थ अंधकार या मूल अज्ञान और ‘रु’ का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक।
‘गुरु’ को ‘गुरु’ इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है और अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को ‘गुरु’ कहा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी बधाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर देशवासियों को बधाई दी है ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘मैं आज आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर सभी को अपनी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आज का दिन हमारे गुरुओं को याद करने का दिन है, जिन्होंने हमें ज्ञान दिया। उस भावना में, हम भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि देते हैं।’ ‘व्यास पूर्णिमा’ संत घीसादास का भी जन्म भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे। गुरु-पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी, इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है उन्हें आदिगुरु कहा जाता है।