गुलबर्ग सोसयाटी केस में आरोपियों को सजा देने की तारीख आगे टल गई
एजेंसी/ अहमदाबाद : 2002 में हुए गुलबर्ग सोसयाटी केस में आरोपियों को सजा देने की तारीख आगे टल गई है। इस केस में दोषी करार दिए गए 24 आरोपियों को 9 जून को सजा सुनाया जाएगा। इस मामले में सरकारी वकील ने अपना पक्ष रख दिया है और दोषशियों के वकील की ओर से अभी दलीलें दी जा रही है।
सरकारी वकील ने अदालत में दोषियों को मौत की सजा देने का ऐलान किया। दूसरी ओर बचाव की भूमिका में उपस्थित पीड़ितों के वकील ने अधिक से अधिक सजा देने की अपील की। कोर्ट में अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि घटना को 14 साल हो चुके हैं, ऐसे में अब उन लोगों को ज्यादा से ज्यादा सजा नहीं दी जा सकती।
उन्होंने कहा कि जज साहब, 2002 का वक्त ही ऐसा था। वैसे में कोई साजिश प्री-प्लान नहीं थी, इसलिए कैपिटल पनिशमेंट नहीं बनती। 2 जून को कोर्ट ने 2002 में गुलबर्ग सोसायटी केस में 24 आरोपियों को दोषी ठहराया था। दूसरी पीड़ितों के वकील उनके प्रति नरमी बरतने की मागं कर सकते है।
2 जून को सीबीआई के विशेष न्यायधीश पी बी देसाई ने गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार मामले में 66 आरोपियों में से 24 को दोषी ठहराया था। 2002 में हुए इस नरसंहार में कांग्रेस के नेता एहसान जाफरी समेत 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी। मुकदमे के दौरान 66 में से 6 की मौत हो गई।
11 पर हत्या का आरोप लगा जब कि विश्व हिंदू परिषद् के नेता अतुल वैद्द सहित कुल 13 लोगों को हल्के अपराध का दोषी पाया गया। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा था कि आपराधिक साजिश का कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है और आईपीसी की धारा 120बी के तहत सारे आरोप हटा लिए गए है।
जिन लोगों को बरी किया गया हैं, उसमें बीजेपी के वर्तमान पाषर्द बिपिन पटेल, गुलबर्ग सोसाइटी जहां है, उस इलाके के तत्कालीन पुलिस निरीक्षक के जी एर्डा और कांग्रेस के पूर्व पाषर्द मेघसिंह चौधरी शामिल हैं। पूरे देश को झकझोर कर रख देने वाले इस नरसंहार ने अहमदाबाद के केंद्र में स्थित सोसायटी पर हमला बोल दिया था और जाफरी समेत कई लोगों की हत्या कर दी।
यह घटना साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 डिब्बे में गोधरा स्टेशन के निकट आग लगाए जाने के एक दिन बाद हुई थी। यह 2002 के गुजरात दंगों के उन नौ मामलों में से एक है जिसकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी ने जांच की थी। फैसले के बाद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने इस फैसले पर निराशा जाहिर की थी।
उन्होंने कहा कि सबको दंडित किया जाना चाहिए था क्योंकि उन्होंने लोगों की हत्या की और उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया। एसआईटी ने मामले में जिन 66 आरोपियों को नामजद किया है, उसमें से नौ पहले ही सलाखों के पीछे हैं जबकि अन्य जमानत पर बाहर हैं।