नई दिल्ली। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने अनुपयोज्य परिसंपत्तियों (एनपीए) में वृद्धि और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की ऋण वृद्धि में सुस्ती पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक के विचार हेतु पांच सूत्री एजेंडा सुझाया है। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने रविवार को यहां एक बयान में कहा ‘‘गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) सेक्टर को मुख्य भारतीय वित्तीय प्रणाली के साथ एकीकृत करने की जरूरत है और वित्तीय समग्रता हासिल करने तथा अर्थव्यवस्था की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नीतिगत समर्थन की भी जरूरत है।’’ सीआईआई का एजेंडा क्षेत्र की फंडिंग जरूरतों को पूरा करने मौजूदा एनपीए वर्गीकरण मानकों को बनाए रखने एनबीएफसी को एसएआरएफएईएसआई (प्रतिभूतिकरण एवं वित्तीय परिसंपत्तियों के पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन) अधिनियम के दायरे में लाने पर्याप्त पूंजी जरूरतों से संबंधित चिंताओं को दूर करने और कर संबंधित मुद्दों को सुलझाने पर केंद्रित है। सीआईआई ने जोर देकर कहा है कि अर्थव्यवस्था की फंडिंग जरूरतें पूरी करने के लिए बैंकिंग क्षेत्र की मदद हेतु एनबीएफसी सेक्टर की मजबूती महत्वपूर्ण है। संस्था ने कहा है कि एनबीसी सेक्टर के शेयर बढ़ाने के लिए एक केंद्रित दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए जो खास उपलब्धियों और खाकों से परिपूर्ण हो। सीआईआई ने कहा ‘‘चूंकि बैंक परिसंपत्तियां जीडीपी के अनुपात में 1०० प्रतिशत का आंकड़ा छू रही हैं लिहाजा एनबीएफसी सेक्टर के पास एक अभूतपूर्व संभावना है कि वह भारतीय अर्थव्यवस्था में अपना योगदान बढ़ाए।’’