ग्रहों की भी मित्रता में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। नव ग्रहों में सूर्य-सिंह राशि, चंद्रमा-कर्क राशि, मंगल-मेष व वृश्चिक, बुध-मिथुन व कन्या, गुरु-धनु व मीन राशि, शुक्र-वृष व तुला तथा शनि-मकर व कुंभ राशि के स्वामी होते हैं। शास्त्रों में इनमेंनैसर्गिक मैत्री संबंध बताए गए हैं।
सूर्य : सूर्य के चंद्रमा, मंगल व गुरु मित्र होते हैं। शनि-शुक्र शत्रु व बुध से सम्यता के संबंध है। सिंह राशि वाले के मित्रता मेष, कर्क, वृश्चिक, धनु व मीन राशि वालों से व मकर, कुंभ, वृष व तुला वाले लोगों से शत्रुता होती है।
चंद्र : चंद्र ग्रह के अधिकांश ग्रह मित्र होते हैं लेकिन बुध, शुक्र, शनि, राहु, केतु इन्हें पसंद नहीं करते। बुध, शुक्र, गुरु, शनि से मित्रता और मंगल से शत्रुता होती है। चंद्रमा जल प्रधान व मंगल अग्नि तत्त्व प्रधान होता है अत: इनमें मित्रता संभव नहीं है।
मंगल : मंगल के मित्र शनि व सूर्य होते हैं। चंद्र व गुरु से साम्यता व शुक्र और बुध से शत्रुता के संबंध होते हैं। इस प्रकार मेष व वृश्चिक राशि वाले लोगों की मित्रता कर्क, धनु व मीन से तथा वृष, तुला, मिथुन व कन्या राशि वालों से शत्रुता होती है।
बुध : इस ग्रह के मित्र सूर्य, गुरु व चंद्र होते हैं। शनि से इनकी शत्रुता होती है। इस प्रकार मिथुन व कन्या राशि वाले लोगों की मित्रता सिंह, कर्क, धनु व मीन राशि के लोगों से होती है। मकर व कुंभ राशि से असामान्य संबंध होते हैं। ग्रहों के मैत्री और शत्रुता भाव पर ही मनुष्य का आचरण टिका होता है।
गुरु: गुरु के मित्र मंगल, चंद्र व शनि और शुक्र, बुध से शत्रु होते हैं। धनु व मीन राशि के लोगों की मेष, वृश्चिक, कर्क, मकर व कुंभ से मित्रता तथा वृष, तुला व मिथुन, कन्या से शत्रुता के संबंध होते हैं। गुरु से बुध-शुक्र दूर रहने वाले होते हैं।
शुक्र : गुरु, सूर्य मित्र व मंगल इसके शत्रु होते हैं। शुक्र की राशि वृष व तुला वाले लोगों की मित्रता और सिंह, धनु, मीन, मेष व वृश्चिक राशि के लोगों से शत्रुतापूर्ण संबंध होते हैं। चंद्रमा, बुध व शनि के साथ समानता के संबंध होते हैं।
शनि : इस ग्रह की गुरु, चंद्र, मंगल से मित्रता और सूर्य से शत्रुता रहती है। वहीं मकर व कुंभ राशि वाले लोगों की मित्रता मेष, वृश्चिक, कर्क, धनु व मीन राशि के लोगों से होती है जबकि सिंह राशि के लोगों से शत्रुता रहती है।