मुंबई: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने देश से बाहर धन भेजने की उदारीकृत प्रेषण योजना की जानकारी देने के नियमों को और कड़ा कर दिया है। योजना के तहत कोई व्यक्ति एक वर्ष में ढाई लाख डॉलर तक विदेश भेज सकता है। मौजूदा समय में धन भेजने वाले (प्रेषक) द्वारा की गई घोषणा के आधार पर बैंक योजना के तहत लेनदेन की अनुमति देते हैं। इस सीमा के पालन की निगरानी केवल प्रेषक द्वारा की गई घोषणा तक ही सीमित है। इसकी स्वतंत्र रूप से कोई पुष्टि नहीं की जाती, इसके बारे में सूचना का कोई विश्वसनीय स्रोत भी नहीं होता। रिजर्व बैंक ने अधिसूचना में कहा कि धन भेजने पर निगरानी को बेहतर करने और एलआरएस सीमाओं के अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय किया गया कि इस योजना के तहत धन भेजने वालों के लेनदेनों की जानकारी संबंधित प्राधिकृत डीलर बैंकों से रोजाना मंगाने की व्यवस्था को अमल में लाया जाए, यह जानकारी इस तरह के लेनदेन करने वाले अन्य बैंकों को भी सुलभ हो। बैंकों में होने वाले सभी ट्रांजैक्शन पर भी आर.बी.आई. की पैनी नजर रहती है।
उदारीकृत प्रेषण योजना (Liberalised Remittance Scheme (LRS)) के तहत कोई व्यक्ति एक वर्ष में ढाई लाख डॉलर तक विदेश भेज सकता है। बैंकों को रोजाना इस तरह के लेनदेन की सूचना अपलोड करनी पड़ेगी।