नई दिल्ली : वीडियोकोन लोन केस में आईसीआईसीआई बैंक के चेयरमैन एमके शर्मा ने बैंक की सीईओ चंदा कोचर का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि कोचर लोन को मंजूरी देने वाली क्रेडिट कमेटी में शामिल थीं, लेकिन वो इसकी चेयरपर्सन नहीं थीं। साथ ही चंदा कोचर ने रिजर्व बैंक और बैंकिंग सेक्टर के कायदों के मुताबिक तमाम डिस्क्लोजर भी दिए थे।उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी एक शख्स अकेले किसी कर्जदार को फायदा नहीं पहुंचा सकता। एक समाचार पत्र में दावा किया गया कि वीडियोकॉन ग्रुप को आईसीआईसीआई बैंक ने 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया था। इसका 86% हिस्सा ही चुकाया गया। बाद में वीडियोकॉन की मदद से बनी एक कंपनी आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की अगुआई वाले ट्रस्ट के नाम कर दी गई। खबर के मुताबिक, चंदा कोचर पर वीडियोकॉन के मालिक वेणुगोपाल धूत के जरिए अपने पति दीपक कोचर, भाभी और ससुर को लाभ पहुंचाने का आरोप लगा है।आईसीआईसीआई बैंक के चेयरमैन एमके शर्मा का कहना है कि बोर्ड लोन के इंटरनल प्रॉसेस का रिव्यू कर चुकी है। लोन सीधे वीडियोकॉन ग्रुप को डिस्बर्स नहीं किया गया था, बल्कि यह एक एस्क्रो पूल अकाउंट में भेजा गया था। वीडियोकॉन ग्रुप को सैंक्शन होने वाले शेयर 10 फीसदी से भी कम हैं। उन्होंने कहा कि लोन को मंजूरी देने वाली कमेटी के अध्यक्ष उस वक्त के बैंक चेयरमैन थे। इसमें बैंक के कई स्वतंत्र और कार्यकारी डायरेक्टर्स शामिल थे। चंदा कोचर कमेटी की चेयरपर्सन नहीं थीं। बल्कि, वे वीडियोकॉन को कर्ज दिए जाने के मामले में सिर्फ इवैल्युएटिंग के लिए क्रेडिट पैनल में थीं।